राजनीति के अलावा मेरे पास कोई और कौशल नहीं : अधीर रंजन चौधरी
श्री चौधरी (68) ने कहा कि इस सरकार से लड़ने के प्रयास में मैंने अपनी आय के स्रोतों की अनदेखी की है. मैं खुद को बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे का) सांसद कहता हूं. राजनीति के अलावा मेरे पास कोई और कौशल नहीं है. इसलिए आने वाले दिनों में मेरे लिए मुश्किलें खड़ी होंगी और मुझे नहीं पता कि उनसे कैसे पार पाया जाये. श्री चौधरी ने पुष्टि की कि वह अपना सांसद आवास खाली करने के लिए जल्द ही राजधानी जायेंगे. उन्होंने कहा कि मेरी बेटी एक छात्रा है और कभी-कभी अपनी पढ़ाई के लिए इस जगह का इस्तेमाल करती है. मुझे वहां एक नया घर ढूंढना होगा, क्योंकि मेरे पास कोई घर नहीं है.
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‘I.N.D.I.A’ गठबंधन में तृणमूल की मौजूदगी पर कभी नहीं जतायी आपत्ति
चुनाव के बाद ममता बनर्जी की ‘I.N.D.I.A’ गठबंधन के साथ निकटता पर बात करते हुए श्री चौधरी ने कहा कि उन्होंने गठबंधन में तृणमूल की मौजूदगी पर कभी आपत्ति नहीं जतायी. हालांकि श्री चौधरी ने इस बात से सहमति जतायी कि उन्होंने ममता बनर्जी के साथ गठबंधन का विरोध करते हुए पार्टी हाईकमान के समक्ष अपनी बात रखी है, क्योंकि उनका मानना है कि यह राजनीतिक आत्महत्या के समान होगा.यह पूछे जाने पर कि क्या वह प्रदेश कांग्रेस प्रमुख के पद पर बने रहेंगे तो उन्होंने कहा, ‘मैंने चुनाव में अपनी हार स्वीकार कर ली है और पहले अपने नेताओं से इस पद के लिए मुझसे ज्यादा योग्य व्यक्ति को खोजने का आग्रह करते हुए अपना पद छोड़ना चाहता था. मैं सोनिया गांधी के अनुरोध पर रुका रहा. मुझे अभी तक अपने नेताओं की ओर से कोई फोन नहीं आया है. फोन आने पर मैं एक बार फिर पार्टी को अपनी इच्छा से अवगत कराऊंगा.
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श्री चौधरी के लिए यह शायद सबसे कठिन चुनावी मुकाबला था
श्री चौधरी ने कहा कि बहरमपुर में प्रचार के लिए किसी नेता को न भेजना पार्टी का विवेकाधिकार है और इस बारे में वह कोई टिप्पणी नहीं करना चाहते.उन्होंने कहा, ‘जब राहुल गांधी की ‘पूरब-पश्चिम भारत जोड़ो यात्रा’ मुर्शिदाबाद पहुंची, तो हमने उसमें हिस्सा लिया. हमारे पार्टी अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने एक बार मालदा में प्रचार किया, लेकिन बहरमपुर कभी नहीं आये. यह हमारे केंद्रीय नेतृत्व का फैसला था, जिसके बारे में मुझे कुछ नहीं कहना है.’ साल 1999 से बहरमपुर से सांसद श्री चौधरी के लिए यह शायद सबसे कठिन चुनावी मुकाबला था, जिसमें उन्हें गुजरात के रहने वाले तृणमूल उम्मीदवार पठान से शिकस्त का सामना करना पड़ा.
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