मानसून की पहली बारिश ने जहां रानीगंज के लोगों को गर्मी से राहत दिलाई, वहीं शहर की लचर नगर व्यवस्था और बुनियादी ढांचे की बदहाली को भी उजागर कर दिया है. मात्र दो दिनों की बारिश ने ही शहर में साफ-सफाई की कमी और खराब सड़कों की पोल खोल दी है, जिससे जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. नालियों का कचरा सड़कों पर बह रहा है और जगह-जगह जलजमाव की स्थिति बनी हुई है, जिससे महामारी फैलने का खतरा मंडरा रहा है.
रानीगंज भाजपा ब्लॉक महासचिव रवि केसरी ने नगर प्रशासन पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा कि शहर में कोई भी बोरो के जिम्मेदार अधिकारी नज़र नहीं आता. उन्होंने शिकायत करने के लिए किसी भी मंच के अभाव पर चिंता जताई, जिससे आम लोग खुद को असहाय महसूस कर रहे हैं। उनका कहना था कि “अब सब कुछ राम भरोसे चल रहा है,जगह जगह कूड़ा कचरा का ढेर लगा है,शहर के दो या तीन रास्ते छोड़ कर सब रास्ते टूट फुट गया है.लाइफ लाइन माने जाने वाला नेताजी सुभाष बोस रोड तो नगर निगम और नेशनल हाईवे ऑथोरिटी के बीच मरम्मत के लिए झूल रहा है,तिलक रोड को अधूरा ढलाई रास्ता करके छोड़ दिया गया है.जगह जगह नाली जाम न होने के कारण कई स्थानो पर वाटर लॉगिंग हो रही है.
हाल ही में मारवाड़ी रिलीफ सोसाइटी अस्पताल में नागरिकों ने नगर निगम के पूर्व अध्यक्ष अमरनाथ चटर्जी के समक्ष अपनी नाराजगी व्यक्त की. उन्होंने कहा कि एक समय था जब शहर में विकास की गति थी, लेकिन अब हालात उपेक्षा की ओर बढ़ चले हैं. इस पर अमरनाथ चटर्जी ने भी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि वे शहर की मूलभूत सुविधाओं में सुधार और नागरिकों को तकलीफ न होने देने के लिए प्रयासरत हैं. रानीगंज की वर्तमान स्थिति प्रशासनिक निष्क्रियता और सुस्त नगर व्यवस्था का स्पष्ट प्रमाण है। अब शहर को केवल वादों की नहीं, बल्कि ज़मीनी स्तर पर ठोस कार्रवाई की सख़्त ज़रूरत है ताकि नागरिकों को बेहतर जीवन मिल सके.
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