शांतिनिकेतन पौष मेले में इस वर्ष भी पूर्व बर्दवान जिले के पूर्वस्थली से डोकरा शिल्प के कारीगर पहुंचे हैं. मेले के कोने-कोने में बंगाल के कलाकारों की खूबसूरत कलाकृतियों का संग्रह बिखरा हुआ है. कौन सा छोड़े, कौन सा खरीदे ? निर्णय लेने में कठिनाई होती है. दुकान में डोकरा की विभिन्न मूर्तियां बेचते दुकानदार शेख नजीबुर से पुछताछ की गयी तो उन्होंने बताया कि वे स्वयं ही इन धातु की मूर्तियों को बनाते हैं. वे पूर्वस्थली से आये हैं. नजीबुर ने बताया कि डोकरा शिल्प में इस्तेमाल होने वाले धातुओं की कीमत काफी बढ़ी है. कठिन परिश्रम के बाद भी उनकी कलाकृति की सटीक कीमत नही मिल पाती. पौष मेले में ऊंचा किराया चुकाकर अपनी कला कृति लेकर आये हैं. लेकिन क्रेता कीमत सुनकर चले जा रहे हैं.
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वही क्रेता राम गोविंद बनर्जी का कहना है कि इस बार पौष मेले में वे लोग डोकरा शिल्प से जुड़ी कलाकृति खरीदारी करने आये थे. लेकिन कीमत सुनकर बजट बिगड़ने वाली बात हो गयी. एक कलाकृति में बैलगाड़ी पर सवार दुर्गा हैं. उस कलाकृति की कीमत करीब साढ़े चार लाख रुपये बतायी गयी. दुर्गा प्रतिमा 42 इंच लंबी और 48 इंच चौड़ी है. हालांकि, मूर्ति की कीमत के बारे में विक्रेता ने कहा कि अब धातु की कीमत काफी बढ़ गयी है. 500 रुपये प्रति किलो धातु खरीदना पड़ता है. भले ही इसे वजन से न मापा जाये, लेकिन इसे चार या पांच लोगों को उठाना पड़ सकता है. इस मूर्ति को बनाने में चार महीने लगे हैं.
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उम्मीद है कि मूर्ति बिक जायेगी. विक्रेताओं का कहना है कि खरीदारों की भीड़ पहले की तुलना में थोड़ी कम है. मेले में बहुत से लोग घूमने तो आ रहे हैं, लेकिन खरीदारी कम कर रहे हैं. उस दृष्टि से बिक्री बहुत कम हो रही है. विक्रेता ने संदेह जताया कि इस कीमत पर कोई मूर्ति खरीदेगा भी या नहीं. लेकिन उन्हें आशा है कि जो लोग कला की कद्र करना जानते हैं, वे इस मूर्ति को घर ले जायेंगे. मेला देखने आए एक पर्यटक ने कहा कि प्रतिमा देखकर उनकी आंखें चौंधिया गईं. लेकिन जितनी कीमत सुनी, उससे लगता है कि इस मूर्ति को खरीदना उनकी औकात से बाहर है.
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