चित्तरंजन में सुबह से लेकर शाम तक बजा सायरन, समझाया गया मतलब

चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (चिरेका) के रेल नगरी में बुधवार सुबह से लेकर शाम तक विभिन्न जगहों पर साइरन की आवाज लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना रहा. चिरेका सिविल डिफेंस टीम और आरपीएफ जवानों की मौजूदगी में देशबंधु बॉयज स्कूल, देशबंधु गर्ल्स स्कूल, इंग्लिश मिडियम स्कूल और एरिया छह कम्युनिटी हॉल में मॉक ड्रिल और जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ.

By AMIT KUMAR | May 7, 2025 10:07 PM
an image

आसनसोल/रूपनारायणपुर.

चित्तरंजन लोकोमोटिव वर्क्स (चिरेका) के रेल नगरी में बुधवार सुबह से लेकर शाम तक विभिन्न जगहों पर साइरन की आवाज लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना रहा. चिरेका सिविल डिफेंस टीम और आरपीएफ जवानों की मौजूदगी में देशबंधु बॉयज स्कूल, देशबंधु गर्ल्स स्कूल, इंग्लिश मिडियम स्कूल और एरिया छह कम्युनिटी हॉल में मॉक ड्रिल और जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन हुआ. जिसमें युद्ध के दौरान आपातकालीन स्थिति में खुद के साथ-साथ दूसरों को कैसे सुरक्षित रखें, इसकी जानकारी दी गयी. साइरन के आवाजों को समझने पर विशेष बल दिया गया. साइरन की कौन से आवाज किसके लिए है? इसे बारीकी से समझाया गया. बमबारी होने पर नाक, कान बंद करके जमीन पर लेटना, सुरक्षित स्थान पर जाने के समय अधिक से अधिक पानी और टॉर्च साथ में रखने की नसीहत दी गयी. इसे लेकर विद्यार्थियों में काफी उत्सुकता रही.

ब्लैकआउट में मोबाइल की रोशनी भी साबित हो सकती है घातक

सिविल डिफेंस टीम ने मॉक ड्रिल में युद्ध के दौरान सुरक्षित रहने के नियमों की जानकारी देते हुए कहा कि ब्लैकआउट के दौरान मोबाइल का प्रकाश भी घातक साबित हो सकता है. ब्लैकआउट में पूरी तरह अंधेरा छा जाता है. किसी भी प्रकर के प्रकाश का उपयोग बंद रहता है. युद्ध के समय दिन में सुरक्षित स्थान पर रहें और रात में न्यूनतम प्रकाश का उपयोग करें. जवानों ने साइरन के विषय में सभी को बारीकी से समझाते हुए कहा कि एक साइरन खतरे का संकेत के लिए होता है, एक साइरन खतरा टल जाने के लिए होता है और एक साइरन ब्लैकआउट के लिए होता.

छात्रों के साथ मॉक ड्रिल नागरिकों के लिए भी है उपयोगी

डीबी बॉयज विद्यालय के प्रधानाचार्य बैद्यनाथ ओरंग ने कहा कि यह मॉक ड्रिल और जागरूकता कार्यक्रम न केवल छात्रों के लिए, बल्कि उनके अभिभावकों और स्कूल स्टाफ के लिए भी बहुत उपयोगी है. युद्ध के दौरान सिविल क्या करना चाहिए और क्या नहीं, इसकी स्पष्ट रूप से जानकारी सिविल डिफेंस की टीम ने दी. छात्रों ने भी इस कार्यक्रम को उपयोगी बताया और कहा कि आज की वैश्विक स्थिति को देखते हुए यह जागरूकता कार्यक्रम बहुत मददगार होगा. युद्ध जैसी स्थिति में भी हमें इससे मदद मिलेगी. सिविल डिफेंस टीम के अधिकारी ने कहा कि यह कार्यक्रम न सिर्फ जागरूकता बढ़ाने में सहायक है बल्कि सभी को आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए मानसिक रूप से तैयार भी किया जा रहा है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version