रानीगंज स्थित श्री सीताराम जी मंदिर परिसर में गुरुवार को बीते साल की तरह इस साल भी 31 जोड़ों ने पार्थिव शिव पूजन में हिस्सा लिया. इस दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित होकर इस धार्मिक अनुष्ठान के साक्षी बने. शिव महापुराण के अनुसार, पार्थिव शिवलिंग की पूजा प्राचीन काल से प्रचलित है और इसे अत्यंत पुण्यदायी माना जाता है.
कार्यक्रम का उद्देश्य और ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
कार्यक्रम के बारे में जानकारी देते हुए मंदिर कमेटी के अध्यक्ष बिमल बाजोरिया ने बताया कि जब मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्रीराम माता सीता को लंकापति रावण के चंगुल से छुड़ाने के लिये लंका पर चढ़ाई की तैयारी कर रहे थे, तब उन्होंने गंगा मिट्टी से भगवान शिव की प्रतिमा बनाकर उनकी पूजा की थी. तभी से इस परंपरा की शुरुआत मानी जाती है.
श्रद्धालुओं की आस्था और आयोजन की भावना
पार्थिव पूजन का महत्व और विधि
मुख्य यजमान और आयोजन टीम
मंदिर के कोषाध्यक्ष ललित झुनझुन वाला ने कहा कि जिस प्रकार श्रद्धालुओं की संख्या लगातार बढ़ रही है, आने वाले वर्षों में स्थान की कमी की संभावना हो सकती है. पूरे आयोजन को सफल बनाने में मंदिर के पुजारी विजय पांडेय और उनकी टीम, मंदिर कमेटी के सदस्य हरि सोमानी, अभिषेक बगड़िया, गोविंद लोहिया, विजय जाजोदिया समेत अनेक भक्तों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया.
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