बांकुड़ा. ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु संकट से जूझती दुनिया में जब अधिकतर शक्तिशाली देश पर्यावरण संरक्षण की बजाय युद्ध और औद्योगिक विस्तार में लगे हैं, ऐसे में बांकुड़ा जिले के एक छोटे से गांव के शिक्षक रामकृष्ण मंडल अपने सीमित संसाधनों के बावजूद हरियाली के बीज बो रहे हैं. इंदास ब्लॉक स्थित अमरुल प्राथमिक विद्यालय में सहायक शिक्षक के रूप में कार्यरत रामकृष्ण मंडल न केवल बच्चों को पढ़ाते हैं, बल्कि उन्हें पर्यावरण की रक्षा के लिये भी प्रशिक्षित कर रहे हैं.
बच्चों को बनाया साथी, गांवों में फैलाया हरियाली का संदेश
रामकृष्ण मंडल इंदास थाना अंतर्गत केनेती गांव के निवासी हैं. वह पिछले 21 वर्षों से शिक्षक के रूप में कार्यरत हैं और छात्र जीवन से ही पर्यावरण के प्रति सजग रहे हैं. उनका मानना है कि केवल पेड़ लगाना काफी नहीं, लोगों में जागरूकता जरूरी है. इसी सोच के तहत उन्होंने बच्चों को अपना सहभागी बनाया और नियमित रूप से वृक्षारोपण, उनकी देखभाल, पक्षियों के लिए गर्मी में पानी और दाना देने की व्यवस्था, तथा जलवायु संकट से जुड़ी गतिविधियों में उन्हें शामिल किया. उन्होंने बताया कि “बच्चे भविष्य की रीढ़ हैं, अगर उनमें प्रकृति के प्रति प्रेम जागेगा, तो वे अपने घरों तक यह संदेश पहुंचायेंगे. स्कूल के छात्रों ने बताया कि वे नियमित रूप से रामकृष्ण सर के साथ स्कूल और मोहल्ले में पौधे लगाते हैं. गर्मी में मिट्टी के बर्तनों में पक्षियों के लिए पानी और दाना रखते हैं. उन्होंने विश्व पृथ्वी दिवस मनाना सीखा और जलवायु हड़ताल के महत्व को समझा. इस मिशन का असर इस हद तक पड़ा कि अमरुल प्राथमिक विद्यालय को “निर्मल विद्यालय पुरस्कार ” और “शिशुमित्र विद्यालय पुरस्कार ” से सम्मानित किया गया.
साइकिल से जागरूकता और छुट्टियों में निरीक्षण
अपने काम को प्रचार से दूर रखने वाले रामकृष्ण मंडल का कहना है कि “जिन शक्तिशाली देशों के पास पृथ्वी को बचाने की ताकत है, वे ही उसे विनाश की ओर ले जा रहे हैं. आने वाली पीढ़ी को अब यह जिम्मेदारी लेनी होगी और मेरा काम उन्हें इसके लिए तैयार करना है.
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