चार ऐतिहासिक रथों में शामिल है केंदुली का रथ, गीत गोबिंद रचयिता जयदेव की भूमि से जुड़ी है विरासत
मुकेश तिवारी, बीरभूम
कहा जाता है कि वर्ष 1694 से 96 के बीच बर्दवान के राजा कीर्तिचंद्र की पत्नी ब्रज किशोरी ने टेराकोटा से अलंकृत इस मंदिर का निर्माण करवाया था, जिसे जयदेव मठ के रूप में तैयार किया गया. इस मठ के प्रमुख मठाधीश 1260 में फूल चंद्र ब्रजवासी बने थे और उन्हीं के काल में मठ का बड़ा विस्तार हुआ था. उनके ही प्रयास से वर्ष 1296 से 98 के बीच यह विशाल पीतल का रथ तैयार किया गया था.
रथ निर्माण में लगे थे कासा उद्योग के शिल्पकार, पचास वर्षों बाद फिर शुरू हुई परंपरा
टिकरबेता ग्राम के प्रसिद्ध कासा शिल्पकार बनमाली मंडल और उनके सहयोगियों खुदीराम, ईश्वर चंद्र, प्रताप चंद्र और बंधु बिहारी सहित कई अन्य शिल्पकारों ने इस रथ का निर्माण किया था. इतिहासकार प्रणव भट्टाचार्य के अनुसार, इस रथ को बनाने में उस समय लगभग डेढ़ हजार रुपये की मजदूरी खर्च हुई थी. मठाधीश फूल चंद्र ब्रजवासी ने इस रथ का विधिवत पूजन कर रथ यात्रा की शुरुआत की थी.
यह रथ यात्रा अब भी न केवल स्थानीय गांवों बल्कि राज्य के विभिन्न जिलों से आये भक्तों और पर्यटकों को आकर्षित करती है.
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