बाराबनी स्टेशन पाड़ा, शिवमंदिर इलाके के निवासी बिट्टू विश्वकर्मा में ईंटभट्ठों के खिलाफ मुहिम छेड़कर पूरे जिले में खलबली मचा दी है. उन्होंने ईंटभट्ठा संचालकों के खिलाफ गंभीर आरोप लगाते हुए राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के आसनसोल क्षेत्रीय कार्यालय के पर्यावरण अभियंता को लिखित शिकायत की और यही शिकायत ऑनलाइन के माध्यम राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के ईमेल पर भेजा, जिसे बोर्ड का पब्लिक ग्रीवांस सेल ने संज्ञान में लिया. क्षेत्रीय कार्यालय की ओर से इस शिकायत पर कोई पहल नहीं हुई. ग्रीवांस सेल के सीनियर साइंटिफिक ऑफिसर और प्रभारी ने आसनसोल क्षेत्रीय कार्यालय के पर्यावरण अभियंता को चिट्ठी भेजा और कहा कि बिट्टू विश्वकर्मा द्वारा उठाये गये मुद्दे पर गौर करें, शिकायत यदि सही पायी जाती है तो एक्शन टेकेन रिपोर्ट राज्य मुख्यालय में जल्द से जल्द भेजे तथा इसकी एक प्रति शिकायतकर्ता को भी दें. 26 मई 2025 को यह चिट्टी जारी होने के बाद भी अबतक श्री विश्वकर्मा के पास बोर्ड की ओर से एक्शन टेकेन रिपोर्ट की कोई जानकारी नहीं आयी है. उन्होंने नौ जून को पर्यावरण अभियंता को पत्र लिखकर जानने का प्रयास किया कि उनकी शिकायत पर क्या कोई कार्रवाई हुई है? उसका भी कोई जवाब नहीं मिला है. श्री विश्वकर्मा ने कहा कि वह इस मुद्दे को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (एनजीटी) में ले जाने की तैयारी में जुट गये हैं. प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड आसनसोल क्षेत्रीय कार्यालय के पर्यावरण अभियंता से इस विषय में पूछने पर उन्होंने कहा कि शिकायत मिली है. जिसे देखा जा रहा है.
जिले में सिर्फ 159 ईंटभट्ठों को ही मिली है मान्यता, चल रहा है इससे दस गुना ज्यादा
श्री विश्वकर्मा ने बताया कि मिनिस्ट्री ऑफ एनवायरमेंट फॉरेस्ट एन्ड क्लाइमेट चेंज के वेबसाइट, ऑनलाइन कंसेंट मैनेजमेंट एंड मॉनिटरिंग सिस्टम में पश्चिम बर्दवान जिला का जो आंकड़ा दिखाया जा रहा है, उसके अनुसार 12 जून 2025 तक कुल 271 ईंटभट्टा संचालकों ने रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन डाला है, जिसमें 159 को मंजूरी दी गयी है, 24 पेंडिंग में है और 88 को रद्द किया गया है. जबकि जिले में ईंटभट्टों की संख्या मान्यताप्राप्त भट्टों से 10 गुना ज्यादा है. भारी संख्या में भट्टी संचालकों ने रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन ही नहीं किया, आपसी समझौता से चला रहे हैं. शिकायत के बाद भी इसकी जांच नहीं होती है.
बिट्टू विश्वकर्मा ने क्या आरोप लगाया, जिसे लेकर मची है खलबली
पर्यावरण मंजूरी के बिना ब्रिक्स फील्ड का अवैध संचालन:
अवैध संचालन से गंभीर पर्यावरणीय खतरा:
ईंट बनाने के लिए मिट्टी की जरूरत होती है, वह मिट्टी भी अवैध रूप से खनन करके संग्रह की जाती है. इसके लिए कोई वैध अनुमति नहीं है. जिसके कारण उपजाऊ कृषि भूमि और आसपास के वन क्षेत्रों को नष्ट किया जा रहा है. जिससे भूमि का तेजी से क्षरण, जंगलों की कटाई और जैव विविधता को नुकसान हो रहा है.
श्रम कानून और मानवधिकारों का हो रहा उल्लंघन:
नियमों की अनदेखी कर ईंटभट्ठों के संचालन से स्वास्थ्य को खतरा:
ईंटभट्टों से निरंतन धूल प्रदूषण, असुरक्षित कार्य स्थितियां और ध्वनि प्रदूषण से स्थानीय लोगों के स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित कर रहा है. जिससे लोगों को सांस की बीमारी के साथ मानसिक परेशानी भी बढ़ रही है.
जमीनों का हो रहा है अतिक्रमण :
अवैध कोयला का उपयोग से अवैध खनन को मिल रहा है बढ़ावा:
ये ब्रिक्स फील्ड अवैध कोयला का उपयोग करते हैं. जिससे अनधिकृत कोयला खनन और अवैध परिवहन को बढ़ावा मिल रहा है. जिससे पर्यावरण संतुलन, सार्वजनिक व्यवस्था गंभीर रूप से खतरे में पड़ रही है और संगठित अवैध गतिविधियों को बढ़ावा मिल रहा है. कोयले की मांग ने अप्रत्यक्ष रूप से अनधिकृत छोटे खनन गतिविधियों को बढ़ावा दिया है, जिससे भूमि और वन संसाधनों का अधिक क्षरण हो रहा है.
बुनियादी स्वच्छता और सुविधाओं का है अभाव:
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