ऐतिहासिक रानीगंज शहर के कई इलाकों को ‘धंसानग्रस्त क्षेत्र’ घोषित कर घरों के निर्माण पर रोक लगाने के आसनसोल-दुर्गापुर विकास प्राधिकरण (एडीडीए) और आसनसोल नगर निगम के निर्णय से स्थानीय लोगों में भारी रोष देखा जा रहा है. निर्देश है िक धंसानग्रस्त जगह से 300 मीटर के दायरे में कोई घर या आशियाना नहीं बनाया जा सकता. इसके खिलाफ ”रानीगंज बचाओ मंच” ने व्यापक जन आंदोलन करने का आह्वान किया है. आरोप लगाया है कि यह केंद्र सरकार और कोल इंडिया के अधिकारियों की ओर से शहर को खाली करा कर कोयला निकालने की बड़ी साजिश का हिस्सा है.
रानीगंज बचाओ मंच का इल्जाम
””रानीगंज बचाओ मंच”” के संयोजक गौतम घटक और सह-संयोजक डॉ. एस. के. बासु ने एक बयान जारी कर कहा है कि पिछले एक साल से रानीगंज बोरो-2 इलाके में मकान निर्माण की अनुमति नहीं दी जा रही है.जिन लोगों ने भी निर्माण नक्शे जमा किए हैं, उनके आवेदन इस आधार पर खारिज किए जा रहे हैं कि प्रस्तावित स्थान धसान (भूमि धंसाव) प्रभावित क्षेत्र से 300 मीटर के दायरे में आता है. मंच का दावा है कि इससे ऐसा प्रतीत होता है कि बोरो-2 का पूरा इलाका ही निर्माण के लिए अनुपयुक्त घोषित कर दिया गया है.
साजिश का आरोप और अतीत के विरोध
कोयला खनन बनाम शहरी विकास
जन प्रतिनिधियों से अपील और ””रानीगंज बचाओ मंच”” का गठन
इसीएल का खंडन व अफसरों का स्पष्टीकरण
रानीगंज विधायक और एडीडीए के पूर्व अध्यक्ष तापस बनर्जी ने मामले पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा कि खनन क्षेत्र में निर्माण कार्य की रूपरेखा खान सुरक्षा महानिदेशक (डीजीएमएस) द्वारा तैयार की जाती है. उनके निर्देश के अनुसार, ऐसे इलाकों के 300 मीटर के भीतर किसी भी तरह के निर्माण की अनुमति नहीं दी जा सकती, जहां जमीन के नीचे कोई खाली जगह है. बनर्जी ने सभी संगठनों से नगर निगम और शहरी विकास विभाग के शीर्ष अधिकारियों से मिलकर मामले की विस्तृत जानकारी देने और फिर डीजीएमएस से चर्चा कर संबंधित आवेदन प्रस्तुत करने का आग्रह किया है.उन्होंने इस तरह की बैठक की व्यवस्था करने का भी आश्वासन दिया है.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है