दो स्कूलों में तीन-तीन स्थायी शिक्षकों के पद हुए आवंटित, निरीक्षकों ने एसएससी को नहीं भेजी शिक्षकों की मांग आसनसोल. जिला के विभिन्न इलाकों में प्रशासनिक व जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के कारण हिंदीभाषी विद्यार्थियों के स्कूल से ड्रॉपआउट होने का मामला गंभीर मामला बनकर सामने आ रहा है. सरकार की ओर से ड्रॉपआउट को लेकर सर्वे का कार्य चल रहा है, जिसमें यह मुद्दा कितना उभर कर सामने आएगा? यह अनेकों के मन मे सवाल है. ड्रॉपआउट विद्यार्थियों का सर्वे नियमित अंतराल पर होता है लेकिन प्रशासनिक अधिकारियों की उपेक्षा के कारण हिंदी माध्यम जूनियर हाइस्कूलों को मान्यता मिलने के बावजूद भी स्कूल भवनों का निर्माण नहीं हुआ. शिक्षक का पद आवंटन होने के बाद भी स्कूल निरीक्षकों ने शिक्षकों के रिक्त पद की मांग स्कूल सर्विस कमीशन से नहीं करने कारण शिक्षक भी नहीं मिला. कुल्टी इलाके में ऐसे तीन स्कूलों को वर्ष 2018 में वेस्ट बंगाल बोर्ड ऑफ सेकेंडरी एजुकेशन ने राज्य सरकार के स्कूल शिक्षा विभाग की अनुशंसा पर मान्यता दी. लेकिन अबतक इन स्कूलों के भवन निर्माण के लिए फंड नहीं मिला, जिसके कारण स्कूल भवन ही नहीं बना. जबकि तीनों स्कूलों के लिए जमीन लोगों ने दान में दी. इसमें से एक स्कूल इलाके के निजी स्कूल के भवन में गेस्ट टीचर के सहयोग से चल रहा है. बाकी दो स्कूल भगवान भरोसे है और यह दोनों बालिका विद्यालय है. इस इलाके में यह स्कूल नहीं बनने के कारण बच्चियों को सात से आठ किलोमीटर दूर स्कूल में जाना होता है. सभी वहां तक नहीं पहुंच पाती है. साहित्यकार व एक्टिविस्ट सृंजय ने कहा कि यह सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि ड्रॉपआउट की संख्या क्या होगी? भारी संख्या में बच्चे ड्रॉपआउट हो रहे हैं, जिनकी रिपोर्टिंग सरकार के पास सही तरीके से नहीं होती है. अतिरिक्त जिलाधिकारी (शिक्षा) संजय पाल ने कहा कि इस विषय की जांच करके ही आगे कुछ कहा जा सकता है.
संबंधित खबर
और खबरें