शिकायतकर्ताओं की मांग, डीलर के बजाय उनसे संग्रह करना था आटे का नमूना, घरों में पड़ा है आटा आसनसोल/रूपनारायणपुर. सरकारी राशन दुकानों (फेयर प्राइस शॉप) में मिलने वाली आटा खाने योग्य नहीं है, इसकी शिकायतें हमेशा ही होती रहती है. इन्ही शिकायतों के आधार पर आटा की गुणवत्ता जांच करायी गयी. जांच में सब कुछ सही मिला. शिकायतकर्ता अमरनाथ महतो को राज्य सरकार की फूड एंड सप्लाईज विभाग के इन्फॉर्मेशन/ग्रीवांस सिस्टम से यह सूचना भेजी गयी कि उनकी शिकायत को क्लोज कर दिया गया. क्लोज रिमार्क्स में लिखा गया है कि सबडिविजनल कंट्रोलर फूड एंड सप्लाई आसनसोल ने रिपोर्ट दिया है कि डीलर की ओर से एकत्र किया गया आटा के नमूने को क्वालिटी कंट्रोल परीक्षण प्रयोगशाला में भेजा गया और नमूना परीक्षण में पास हो गया. इसलिए इस मामले का निपटारा किया जा सकता है. ग्रीवांस सिस्टम से प्राप्त इस जानकारी के बाद शिकायतकर्ता में नाराजगी है और उन्होंने कहा कि परीक्षण के लिए आटा का नमूना उनलोगों के पास से या उनकी मौजूदगी में डीलर के पास ही क्यों नहीं संग्रह किया गया? आटा आज भी जो मिल रहा है वह खाने योग्य नहीं है. जिसने अधिकारी ने डीलर से आकर नमूना लिया और जिसने परीक्षण करके उसे पास किया, वे लोग किसी भी राशन दुकान का आटा लेकर खाएं और फिर बताएं कि यह खाने योग्य है या नहीं. क्या गरीबों को बालू और कीड़ा, मकौड़ा मिला हुआ ही आटा खाना होगा. लैब भी क्या गरीबों के लिए इसप्रकार के आटा को ही सही मानता है? आगामी दिनों में पुनः शिकायत की जाएगी और इसबार नमूना की जांच अधिकारी को रोटी खिलाकर करवायी जाएगी. गौरतलब है कि सराकरी राशन दुकान पर मिलने वाला आटा में बालू मिला होने को लेकर सालानपुर प्रखंड के विभिन्न इलाकों से अनेकों ने फूड सप्लाईज विभाग के ग्रीवांस सिस्टम में मार्च 2025 में शिकायत की थी. इस शिकायत के बाद जांच शुरू होते ही शिकायतकर्ताओं को शिकायत वापस लेने के लिए प्रलोभन और डर भी दिखाया गया था. किसी ने शिकायत वापस नहीं ली. आखिरकार इसकी जांच शुरू हुई. जिसके तहत डीलर के पास से आटा का नमूना लेकर लैब में परीक्षण के लिए भेजा गया. रिपोर्ट ओके आया. स्थानीय राशन डीलर और उपभोक्ता दोनों का ही मानना है कि आटा में समस्या होती है. यह आटा रोटी बनाकर इंसान के खाने योग्य नहीं होता है. सारे लोग आटा बेच देते हैं. यह आटा गाय के भोजन के रूप में उपयोग होता है. लोग यह आता 15 रुपये किलो के दर से बेच देते हैं. डीलरों का कहना है कि यह पैकेट आटा हैं, मिल से उन्हें जैसा मिलता है वे वैसा ही सप्लाई करते हैं. आटा वे घर में पैकेट नहीं करते हैं. शिएकयतकर्ता ने आशंका जतायी की मिल मालिकों के साथ अधिकारियों की मिलीभगत होने के कारण ही नमूना बदल करके लैब में भेजा गया. इसे लेकर आगे भी शिकायत की जाएगी.
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