अजय नदी पर पक्के सेतु की मांग ने फिर पकड़ा जोर, मुद्दा गरमाया

अजय नदी पर एक ओवर ब्रिज के निर्माण की वर्षों पुरानी मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है. यह मांग सिर्फ आम नागरिकों की ही नहीं, बल्कि विभिन्न सामाजिक संगठनों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, उद्योग समूहों और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की भी एक प्रमुख प्राथमिकता रही है, लेकिन आज भी यह मुद्दा अनसुलझा और उपेक्षित पड़ा हुआ है.

By AMIT KUMAR | July 14, 2025 9:55 PM
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जामुड़िया.

अजय नदी पर एक ओवर ब्रिज के निर्माण की वर्षों पुरानी मांग एक बार फिर जोर पकड़ रही है. यह मांग सिर्फ आम नागरिकों की ही नहीं, बल्कि विभिन्न सामाजिक संगठनों, व्यावसायिक प्रतिष्ठानों, उद्योग समूहों और क्षेत्रीय जनप्रतिनिधियों की भी एक प्रमुख प्राथमिकता रही है, लेकिन आज भी यह मुद्दा अनसुलझा और उपेक्षित पड़ा हुआ है.

2021 के चुनावी वादे से जगी थी उम्मीद

वर्ष 2021 के विधानसभा चुनावों के दौरान, जामुड़िया क्षेत्र से तृणमूल कांग्रेस के प्रत्याशी हरेराम सिंह ने जनता से वादा किया था कि यदि वे जीतते हैं, तो अजय नदी पर एक पक्का पुल का निर्माण कराया जाएगा. इस वादे से लोगों में बड़ी उम्मीद जगी थी, क्योंकि यह पुल बीरभूम और पश्चिम बर्दवान को आपस में जोड़ने का एक महत्वपूर्ण जरिया बन सकता था. हालांकि, पांच साल बीत जाने के बाद भी यह वादा अब तक केवल कागजों और मंचीय भाषणों तक ही सीमित रहा है, जिससे क्षेत्रवासियों में गहरी नाराजगी है,जबकि 2026 में पुनः विधानसभा चुनाव होने वाली है.

नाव ही एकमात्र साधन, खतरे के बीच यात्रा

वर्तमान में स्थानीय लोगों को नदी पार करने के लिए नावों का सहारा लेना पड़ता है. बरसात के दिनों में जब अजय नदी का जलस्तर बढ़ जाता है, तब यह सफर और भी खतरनाक हो जाता है. अधिकतर नावें ओवरलोड होती हैं और कोई सुरक्षा उपाय नहीं होते, जिससे दुर्घटनाओं की संभावना बनी रहती है. यात्रियों की जान जोखिम में रहती है, और प्रतिदिन स्कूली बच्चों, बुजुर्गों, मजदूरों एवं व्यापारी वर्ग को इस जोखिम भरे रास्ते से होकर गुजरना पड़ता है.बीते सप्ताह भी एक नाव में जब कुछ लोग बीरभूम से जामुड़िया आ रहे थे,तभी नाव पाइप लाइन में फंस गई,और नाव में सवार 16 सवारी डूबने लगे,उनलोगों को सकुशल निकाल लिया गया.

विभिन्न संगठनों व नेताओं ने उठायी आवाज

क्षेत्रीय विकास में ब्रिज का अभाव एक बड़ी बाधा है, जिससे बीरभूम और पश्चिम बर्दवान जिले के बीच संपर्क काफी असुविधाजनक है. खासतौर पर ग्रामीण क्षेत्रों से आने-जाने वाले लोगों को कई किलोमीटर का चक्कर काटकर वैकल्पिक मार्ग से यात्रा करनी पड़ती है. इससे न केवल समय और धन की बर्बादी होती है, बल्कि चिकित्सा, शिक्षा और व्यापार जैसे आवश्यक कार्य भी बाधित होते हैं. माकपा के युवा नेता विकास यादव ने कहा कि जनप्रतिनिधियों की चुप्पी और प्रशासन की उदासीनता के कारण ही अजय नदी पर पक्का पुल का निर्माण नहीं हो रहा है, जिसकी वजह से हजारों लोगों की जिंदगी खतरे में है.

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