102 वर्षीय रथ को नये रूप में लौटाने की तैयारी, मेले में उमड़ी अपार भीड़
विशिष्ट तिथि के कारण रथ यात्रा का समय सीमित
राजपरिवार और पीतल के रथ का गौरवशाली इतिहास
इस पीतल के रथ की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए इसे साल भर नए महल के सामने खुले में, निगरानी में रखा जाता है. पहले यह रथ पुराने महल से नये महल में ले जाया जाता था, लेकिन हाल के वर्षों में दिशा उलटी कर दी गई है.
रथ यात्रा का मेला और श्रद्धा का संगम
पुरी की परंपरा से प्रेरित यह रथ यात्रा रानीगंज में एक भव्य मेले के साथ होती है. प्राचीन काल में यह मेला कृषि उपकरणों के लिए प्रसिद्ध था, जबकि आज यह आधुनिक वस्तुओं का केंद्र बन गया है. मेले में इस बार विदेशी पक्षी, नस्लीय कुत्ते, पौधे, अचार, खेल-खिलौने, सौंदर्य प्रसाधन और खाने-पीने की ढेरों दुकानें सजी हैं. मेला पूरे 10 दिन चलेगा.
अंतिम यात्रा में उमड़ा जनसैलाब
इस वर्ष की अंतिम यात्रा में सियारसोल राजपरिवार के वंशज विट्ठल लाल मालिया के नेतृत्व में हजारों श्रद्धालुओं ने रथ की रस्सियां खींचीं. रथ को उल्टा रथ के दिन पुनः नये महल में लाया जायेगा. मेले के दौरान प्रशासन द्वारा सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किये गये थे.
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