कांकसा थाने का आदिवासियों ने किया घेराव, घेराबंदी तोड़ने की कोशिश, पुलिसवालों से धक्कामुक्की

थाने के बाहर पुलिस की घेराबंदी को आदिवासियों ने तोड़ कर अंदर घुसने की कोशिश की.

By GANESH MAHTO | June 28, 2025 10:37 PM
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जनजातीय समुदाय का आरोप, संगठन के नाम पर कुछ लोग कर रहे गड़बड़ शिकायत पर भी पुलिस नहीं कर रही कार्रवाई, कांकसा थाने के आइसी को हटाने की मांग पानागढ़. शनिवार को पश्चिम बर्दवान जिले के कांकसा थाने का आदिवासी संगठन भारत जकात माझी परगना महल के बैनर तले जनजातीय समुदाय के सदस्यों ने अपने पारंपरिक अस्त्र-शस्त्रों के साथ घेराव किया. थाने के बाहर पुलिस की घेराबंदी को आदिवासियों ने तोड़ कर अंदर घुसने की कोशिश की. उस दौरान भारी संख्या में तैनात पुलिसवालों से प्रदर्शनरत आदिवासियों की धक्का-मुक्की भी हुई. आदिवासियों की शिकायत है कि उनके संगठन के नाम पर कुछ लोग क्षेत्र में गड़बड़झाला कर रहे हैं, जिससे जनजातीय संगठन बदनाम हो रहा है. ऐसे तत्वों के खिलाफ कांकसा थाने में शिकायत के बावजूद पुलिस कोई कार्रवाई करने से बच रही है. आदिवासियों ने मांग की कि कांकसा थाने के आइसी को अविलंब हटाया जाये. आरोप लगाया कि शिकायत के बावजूद आदिवासियों के हित में कदम उठाने के बजाय आइसी आनाकानी व लीपापोती कर रहे हैं. कांकसा थाने के मेन गेट के समक्ष पुलिस की बैरिकेडिंग को आदिवासियों ने तोड़ दिया और आगे बढ़ने की कोशिश की. हालांकि पुलिस ने बाद में बिगड़ती स्थिति संभाल ली. बाद में आदिवासी संगठन के प्रतिनिधियों ने अपनी कई मांगों को लेकर एक ज्ञापन पुलिस अधिकारी को जाकर सौंपा. मौके पर कांकसा के एसीपी सुमन कुमार जायसवाल, कांकसा थाने के आइसी प्रसून खान, अन्य पुलिस अधिकारी व अतिरिक्त पुलिस बल मौजूद था. किसी भी अप्रिय स्थिति से निबटने के लिए भारी पुलिस बल वहां पहले से मुस्तैद था. इससे पहले आदिवासी संगठन के हजारों सदस्य अपने पारंपरिक अस्त्र-शस्त्रों के साथ जुलूस की शक्ल में हाटतला से निकले और कांकसा थाने के बाहर तक गये और जम कर विरोध प्रदर्शन किया. आदिवासी संगठन के जिला नेता जयदेव मुर्मू ने बताया कि इलाके में कुछ फर्जी लोग उनके संगठन के नाम पर गड़बड़ कर रहे हैं. इस बाबत उन लोगों ने पुलिस से लिखित शिकायत भी की है. पर पुलिस ने ऐसे तत्वों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की. आदिवासी नेता ने कांकसा थाने के आइसी को हटाने की भी मांग की. चेतावनी दी कि अपने संवैधानिक अधिकार की रक्षा के लिए वे लोग जरूरी हुआ, तो अनिश्चितकाल के लिए कांकसा थाने का घेराव करेंगे. अलबत्ता, पुलिस के उच्चाधिकारियों ने आदिवासियों को अविलंब मामले को देखने की बात कह कर समझाया, तब जाकर प्रदर्शन थम गया.

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