सुश्री चौधरी ने कहा कि केंद्र सरकार शुरू से ही कोरोना मामले में देश के सभी राज्यों को मदद कर रहा है और आवश्यक दिशा- निर्देश भी दे रहा है. लेकिन, मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने शुरू से ही युद्धम देही, रणम देही की भूमिका अपना ली है. लॉकडाउन और सोशल डिस्टैंसिंग को महत्व नहीं दिया है.
बंगाल में लॉकडाउन का भी पालन नहीं किया गया. अब लॉकडाउन के नाम पर भी राजनीति की जा रही है. कोरोना से लोगों की दृष्टि घुमाने की कोशिश की गयी. इस कारण आज बंगाल में कोरोना कंट्रोल से बाहर हो गया है. राज्य सरकार स्थिति पर नियंत्रण करने में पूरी तरह से फेल रही है.
उन्होंने कहा कि शुरू में मुख्यमंत्री ने कहा था कि कोरोना को तकिया बना कर रखें और अब कह रही हैं कि उनके हाथों में कोई मैजिक नहीं है. इससे साफ साबित होता है कि एक प्रशासक के रूप में मुख्यमंत्री पूरी तरह से विफल रही हैं. केंद्र सरकार का विरोध उनका स्वभाव बन गया है और अपने स्वभाव के अनुरूप उन्होंने कोरोना के मद्देनजर आयी केंद्रीय टीम का भी विरोध किया. उसके दिशा- निर्देशों का पालन नहीं किया.
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उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री को लगता है कि इससे प्रधानमंत्री मोदी को क्रेडिट मिल जायेगा. इसलिए वह केंद्र सरकार के निर्देशों की अवहेलना करती हैं. उन्होंने कहा कि कोविड अस्पताल और वेबसाइट में दिये गये सीट की संख्या में कोई तालमेल नहीं है. इससे जनता को काफी परेशानी हो रही है. कोरोना के साथ-साथ अन्य बीमारियों से लोग परेशान हो रहे हैं, लेकिन कहीं इलाज नहीं हो रहा है.
राज्यपाल के साथ मुख्यमंत्री के टकराव पर टिप्पणी करते हुए सुश्री चौधरी ने कहा कि राज्यपाल का पद संवैधानिक पद है और संघीय ढांचा का पालन करते हुए मुख्यमंत्री को इस पद का सम्मान करना चाहिए.
Posted By : Samir ranjan.