Bangladesh Violence: बांग्लादेश हिंसा ने पड़ोसी देश को पूरी तरह से तोड़ दिया. आर्थिक रूप से बांग्लादेश को भारी नुकसान उठाना पड़ा. हिंसा से भले ही बांग्लादेश तबाह हो गया, लेकिन एक ऐसा भी शख्स है, जिसके लिए हिंसा और प्रदर्शन ‘आपदा में अवसर’ साबित हुआ. जब बांग्लादेश जल रहा था, तो मोहम्मद सुमन हजारों की कमाई करने में लगा था. आप सोच रहे होंगे कि आखिर शख्स ने किस तरह से कमाई की. ये जानने के लिए आपको खबर के अगले हिस्से में पहुंचना होगा.
ध्वज और हैडबैंड बेचकर शख्स ने कमाई की
1989 में ढाका में जन्मा मोहम्मद सुमन रोजी-रोटी के लिए तीन अलग-अलग आकार के बांग्लादेशी झंडे और हैडबैंड बेचता है। उसके मुताबिक, देश में एक महीने से अधिक समय तक हुए सरकार विरोधी प्रदर्शनों के दौरान उसने ‘जबरदस्त कमाई’ की. सरकार विरोधी हिंसक प्रदर्शनों के बीच ढाका में राष्ट्रीय ध्वज और ‘हैडबैंड’ बेचने वाला मोहम्मद सुमन बांग्लादेश के असाधारण घटनाक्रम का पल-पल का गवाह रहा, लेकिन उसकी खुद की जिंदगी बेहद साधारण है. मोहम्मद सुमन का नाम सामाजिक सद्भाव की कहानी बयां करता है, जिसकी इस हिंसाग्रस्त देश में इस समय सबसे ज्यादा जरूरत है.
बांग्लादेश में विरोध-प्रदर्शनों का प्रतीक बनकर उभरा सुमन का ध्वज और हैडबैंड
बांग्लादेश के राष्ट्रीय ध्वज से प्रेरित हरा हैडबैंड बेचने वाला सुमन कहता है कि उसके इस उत्पाद की मांग सबसे ज्यादा है, खासकर छात्रों के बीच. यह हैडबैंड बांग्लादेश में विरोध-प्रदर्शनों का प्रतीक बनकर उभरा है. काम से समय निकालकर थोड़ा आराम करते सुमन (35) ने अपने जीवन की कहानी साझा की और बताया कि कैसे उसे ‘सुमन’ नाम मिला, जो हिंदू समुदाय में रखा जाने वाला एक आम नाम है.
प्रदर्शन के दौरान सुमन ने 1500 झंडे और 500 हैडबैंड बेच डाले
सुमन के मुताबिक, उसने पांच अगस्त को ‘रिकॉर्ड बिक्री’ की थी, क्योंकि प्रदर्शनकारी हैडबैंड पहनकर और झंडे लहराकर प्रदर्शन करना चाहते थे. सोशल मीडिया पर प्रसारित तस्वीरों और वीडियो में इसकी झलक भी देखी जा सकती है. सुमन स्वीकार करता है कि उसने दोनों उत्पाद मूल कीमत से तीन गुना से ज्यादा दाम पर बेचे, क्योंकि उस दिन मांग बढ़ गई थी. उसने दावा किया, पांच अगस्त को हर आकार के झंडों की मांग थी. मैं तीन आकार के झंडे बेचता हूं. उस दिन सारे झंडे बिक गए. मैं सुबह आया और बेहद कम समय में लगभग 1500 झंडे और 500 हैडबैंड बेच डाले. सुमन 2018 से रोजी-रोटी के लिए झंडे बेच रहा है. ढाका में क्रिकेट मैच के दौरान भी उसकी अच्छी बिक्री होती है.
धर्म से मुस्लिम, हिंदु महिला ने नाम रखा, मोहम्मद सुमन नाम के पीछे की कहानी
सुमन ने बताया, मेरा जन्म ढाका के एक मुस्लिम परिवार में हुआ था. मेरे नाम की वजह से कई लोगों को लगता है कि मेरे माता-पिता अलग-अलग धर्म के थे, लेकिन ऐसा नहीं है. जब मेरी मां गर्भवती थी, तब हमारे पड़ोस में रहने वाली अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की एक महिला ने उससे कहा था कि वह जन्म के बाद बच्चे का नाम रखेगी. और जब मेरा जन्म हुआ, तो उसने मुझे सुमन नाम दिया. पुराने ढाका के अलु बाजार इलाके में रहने वाला सुमन बताता है कि भारतीय मूल का उसका पिता 1971 के आसपास कलकत्ता (अब कोलकाता) से ढाका आ गया था और यहीं पर घर बसा लिया था.
झंडे बनाने वाली फैक्टरी में सुमन ने किया काम
झंडे बेचने से पहले सुमन झंडे बनाने वाली एक फैक्टरी में काम करता था. हिंदी और बांग्ला भाषा जानने वाले सुमन ने एक सरकारी स्कूल से कक्षा आठ तक की पढ़ाई की और फिर परिवार के पालन-पोषण के लिए काम करने लगा. वह बताता है, मैंने पहले बिजलीकर्मी के रूप में काम किया, लेकिन आय बहुत कम थी, इसलिए झंडा बनाने वाली फैक्टरी में नौकरी शुरू कर दी.
बांग्लादेश हिंसा ने 600 से अधिक लोगों की जान ली
सरकारी नौकरियों में विवादास्पद कोटा प्रणाली के खिलाफ जुलाई के मध्य में बांग्लादेश में भड़के विरोध-प्रदर्शन में 600 से अधिक लोग मारे गए थे. विरोध-प्रदर्शनों के बीच पांच अगस्त को शेख हसीना सरकार के पतन के बाद बड़े पैमाने पर हिंदू समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया था. पांच अगस्त को शेख हसीना के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा देने और बांग्लादेश छोड़कर भारत चले जाने के बाद देश में सरकार विरोधी प्रदर्शन थम गए थे.
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