कब और कैसे हुआ था दुनिया का सबसे बड़ा रेडिएशन लीक? कांप जाएगी रूह

Chernobyl Nuclear Power: भारत-पाकिस्तान के बीच परमाणु हमले की धमकियों के बीच एक बार फिर चेरनोबिल की भयावह त्रासदी की याद ताजा हो गई है. 26 अप्रैल 1986 को सोवियत संघ (अब यूक्रेन) स्थित चेरनोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में मानव लापरवाही और तकनीकी चूक के चलते दुनिया का सबसे बड़ा रेडिएशन लीक हुआ था.

By Ayush Raj Dwivedi | May 16, 2025 1:08 PM
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Chernobyl Nuclear Power: भारत-पाकिस्तान के बीच जारी तनाव के बीच परमाणु हमले की धमकियां एक बार फिर सुर्खियों में हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि दुनिया को पहली बार रेडिएशन लीक का भयानक अनुभव कब हुआ था? यह त्रासदी हुई थी 26 अप्रैल 1986 को जब सोवियत संघ (अब यूक्रेन में) स्थित चेरनोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में एक भीषण हादसा हुआ था.

चेरनोबिल न्यूक्लियर पावर प्लांट में हुआ था लिक

इस दिन रिएक्टर नंबर 4 में एक टेस्ट के दौरान ऊर्जा की आपूर्ति रुकने की स्थिति में सिस्टम की प्रतिक्रिया जांची जा रही थी. रात करीब 1:30 बजे टर्बाइन को नियंत्रित करने वाला वॉल्व हटा दिया गया और इमरजेंसी कूलिंग सिस्टम भी बंद कर दिया गया. इतना ही नहीं, जिस स्विच से न्यूक्लियर फ्यूजन को रोका जाता था, उसे भी बंद कर दिया गया. इस तकनीकी लापरवाही का अंजाम बेहद भयावह साबित हुआ.

जैसे ही सिस्टम पर से नियंत्रण हटा न्यूक्लियर फ्यूजन तेजी से बढ़ गया और कुछ ही मिनटों में रिएक्टर में जबरदस्त विस्फोट हुआ. इस विस्फोट की तीव्रता इतनी अधिक थी कि इसे हिरोशिमा और नागासाकी पर गिरे परमाणु बमों से भी ज्यादा खतरनाक बताया गया.

40 लोगों की गई थी जान

इस हादसे में तत्काल 40 लोगों की मौत हो गई, लेकिन असल त्रासदी तो उसके बाद शुरू हुई. रेडिएशन का स्तर इतना ज्यादा था कि करीब 50 लाख लोग इसकी चपेट में आए. 4000 से ज्यादा लोग कैंसर और अन्य गंभीर बीमारियों से ग्रस्त हुए. जान-माल के साथ-साथ इस दुर्घटना में करीब 2.5 लाख करोड़ रुपये का भारी नुकसान भी हुआ. चेरनोबिल त्रासदी आज भी यह याद दिलाती है कि परमाणु ऊर्जा से जुड़ी छोटी सी चूक कितनी बड़ी वैश्विक तबाही का कारण बन सकती है.

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