सूत्रों के अनुसार, बांग्लादेश की सेना में लेफ्टिनेंट जनरल मोहम्मद फैज-उर-रहमान, जो वर्तमान में क्वार्टर मास्टर जनरल के पद पर हैं, सेना में तख्तापलट की योजना बना सकते हैं. उन्हें कट्टर इस्लामिक विचारधारा का समर्थक माना जाता है. बताया जा रहा है कि उनका लक्ष्य वर्तमान आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमां को सत्ता से हटाना है. जनरल वकार को एक उदारवादी और भारत समर्थक सैन्य नेता के रूप में देखा जाता है. उन्होंने भारत-बांग्लादेश सीमा पर शांति बनाए रखने और दोनों देशों के बीच सैन्य सहयोग को मजबूत करने में अहम भूमिका निभाई है.
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पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की भूमिका पर भी गंभीर सवाल उठ रहे हैं. हाल ही में आईएसआई प्रमुख की ढाका यात्रा के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल रहमान ने उनसे मुलाकात की और उनके प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व किया. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बांग्लादेश की सेना को भारत के प्रभाव से मुक्त करने और कट्टरपंथी दिशा में मोड़ने की कोशिशें हो रही हैं. इसके लिए बांग्लादेश की खुफिया एजेंसी DGFI का सहयोग लिया जा रहा है.
वकार-उज-जमां, जिन्होंने अब तक कट्टरपंथी ताकतों से सेना को बचाए रखा है, अब दबाव में नजर आ रहे हैं. यह भी कहा जा रहा है कि शेख हसीना को भारत पहुंचाने के पीछे भी वकार-उज-जमां की अहम भूमिका थी. यदि समय पर सैन्य विमान के जरिए उन्हें भारत नहीं भेजा गया होता, तो उनकी जान को गंभीर खतरा हो सकता था.
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इसके अतिरिक्त, आईएसआई के अधिकारियों ने भारत-बांग्लादेश सीमा का दौरा भी किया. इस यात्रा के दौरान लेफ्टिनेंट जनरल रहमान ने पाकिस्तानी अधिकारियों को कई स्थानों का दौरा कराया. माना जा रहा है कि आईएसआई और बांग्लादेश के बीच खुफिया नेटवर्क को मजबूत करने की चर्चा हुई. अगर यह सच साबित होता है, तो भारत, खासकर पूर्वोत्तर राज्यों के लिए यह सुरक्षा की दृष्टि से बड़ा खतरा हो सकता है.
पाकिस्तान लंबे समय से भारत के पूर्वोत्तर क्षेत्र में अशांति फैलाने की कोशिश करता रहा है. अगर बांग्लादेश की सेना पर कट्टरपंथी ताकतों का कब्जा हो गया, तो यह भारत के लिए एक गंभीर चुनौती बन सकता है. इस स्थिति पर भारत को सतर्क नजर रखनी होगी.
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