इंटरनेट केबलों पर क्यों है खतरा?
समुद्र के नीचे बिछी ये केबलें दुनिया की इंटरनेट ट्रैफिक का लगभग 95% हिस्सा संभालती हैं. अगर ये केबलें क्षतिग्रस्त हो जाएं या इनपर हमला हो, तो न केवल इंटरनेट सेवाएं प्रभावित होंगी बल्कि आर्थिक और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिहाज से भी गंभीर खतरा पैदा हो सकता है. रिकॉर्डेड फ्यूचर की रिपोर्ट में बताया गया है कि रूस और चीन मिलकर इन केबलों को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं. खासकर बाल्टिक सागर के उत्तरी हिस्से और ताइवान के पश्चिमी समुद्री क्षेत्र में खतरा ज्यादा है.
किन क्षेत्रों में खतरा मंडरा रहा है? (Digital War Threat by China Russia)
रिपोर्ट में माल्टा, साइप्रस, और आयरलैंड जैसे क्षेत्रों में भी साइबर और समुद्री सुरक्षा खतरे को लेकर चेतावनी दी गई है. ये क्षेत्र बाल्टिक सागर और ताइवान से दूर हैं, लेकिन वहां भी केबलों की सुरक्षा कमजोर होने की संभावना बताई गई है.
इससे पहले भी कुछ घटनाएं सामने आई हैं, जो इस खतरे की गंभीरता को दर्शाती हैं. दो साल पहले बाल्टिक सागर के पास लिथुआनिया और स्वीडन के बीच समुद्र के नीचे बिछी इंटरनेट केबलें टूट गई थीं. उस वक्त इन हादसों के पीछे चीन के एक जहाज के लंगर को कारण बताया गया था, जो कि केबलों को नुकसान पहुंचाने का कारण बना.
Digital War Threat by China Russia: विशेषज्ञों की राय
साइबर सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि इंटरनेट केबलों की सुरक्षा पर ध्यान देना बहुत जरूरी है क्योंकि समुद्र के नीचे से गुजरने वाली ये केबलें किसी भी देश की डिजिटल संचार प्रणाली की रीढ़ हैं. किसी भी तरह की चोट लगने पर वैश्विक इंटरनेट सेवाएं ठप हो सकती हैं, जो आर्थिक, सामाजिक और रणनीतिक रूप से खतरनाक होगा.
ये जानकारी मुस्कान के द्वारा दी गयी है.