लुटनिक के अनुसार, ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान को अमेरिका के साथ व्यापारिक पहुंच की पेशकश कर पूर्ण युद्ध से रोका. उन्होंने कहा कि ट्रंप की कूटनीतिक पहल के चलते ही दो परमाणु शक्तियों के बीच अस्थिर संघर्ष विराम संभव हो सका और यह राष्ट्रपति की वैश्विक राजनयिक ताकत का प्रमाण है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अदालत ट्रंप के अधिकारों को सीमित करती है, तो इससे भारत और पाकिस्तान ट्रंप की मध्यस्थता पर सवाल खड़ा कर सकते हैं, जो दक्षिण एशियाई क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है.
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हालांकि भारत सरकार के सूत्रों ने इस दावे को खारिज किया है. नई दिल्ली स्थित अधिकारियों का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पर कोई भी सहमति पूरी तरह द्विपक्षीय थी और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी. यह तनाव तब बढ़ा जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकवादी हमले में 26 नागरिकों की मौत हो गई थी. इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम से सैन्य कार्रवाई शुरू की. चार दिनों तक चले इस अभियान में ड्रोन और मिसाइल हमलों का इस्तेमाल किया गया.
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इसके बाद दोनों देशों ने 10 मई को संघर्ष विराम पर सहमति जताई. हालांकि अमेरिका दावा कर रहा है कि यह उसके प्रयासों से संभव हुआ, भारत इस बात पर अडिग है कि यह निर्णय पूरी तरह द्विपक्षीय था और किसी बाहरी ताकत की मध्यस्थता नहीं हुई. इस मुद्दे ने अमेरिका और भारत के बीच राजनयिक स्थिति को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर ऐसे समय में जब दक्षिण एशिया में स्थायित्व और सुरक्षा को लेकर वैश्विक चिंता बनी हुई है.
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