India Pakistan War: ट्रंप ने रोका भारत-पाक युद्ध? अमेरिकी दावा से मचा कूटनीतिक भूचाल!

India Pakistan War: ट्रंप प्रशासन ने भारत-पाक संघर्ष विराम में अपनी भूमिका बताई, जबकि भारत ने किसी तीसरे पक्ष की भागीदारी से इनकार किया. अदालत में यह दावा व्यापार नीति से जुड़ा था.

By Aman Kumar Pandey | May 29, 2025 12:01 PM
an image

India Pakistan War: डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन ने न्यूयॉर्क की एक अदालत में दावा किया है कि भारत और पाकिस्तान के बीच 10 मई 2025 को हुआ संघर्ष विराम उनके हस्तक्षेप का परिणाम था. अमेरिकी वाणिज्य मंत्री हॉवर्ड लुटनिक ने यह बयान अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय में दायर एक दस्तावेज के माध्यम से दिया, जिसमें ट्रंप द्वारा अंतरराष्ट्रीय आपातकालीन आर्थिक शक्तियां अधिनियम (आईईईपीए) के तहत व्यापार पर लगाई गईं पाबंदियों को उचित ठहराया गया.

लुटनिक के अनुसार, ट्रंप ने भारत और पाकिस्तान को अमेरिका के साथ व्यापारिक पहुंच की पेशकश कर पूर्ण युद्ध से रोका. उन्होंने कहा कि ट्रंप की कूटनीतिक पहल के चलते ही दो परमाणु शक्तियों के बीच अस्थिर संघर्ष विराम संभव हो सका और यह राष्ट्रपति की वैश्विक राजनयिक ताकत का प्रमाण है. उन्होंने चेतावनी दी कि अगर अदालत ट्रंप के अधिकारों को सीमित करती है, तो इससे भारत और पाकिस्तान ट्रंप की मध्यस्थता पर सवाल खड़ा कर सकते हैं, जो दक्षिण एशियाई क्षेत्र की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है.

इसे भी पढ़ें: ‘धोखेबाज’ फ्रांस, राफेल डील रद्द करेगा भारत? जानें इसके पीछे का बहुत बड़ा कारण

हालांकि भारत सरकार के सूत्रों ने इस दावे को खारिज किया है. नई दिल्ली स्थित अधिकारियों का कहना है कि भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम पर कोई भी सहमति पूरी तरह द्विपक्षीय थी और इसमें किसी तीसरे पक्ष की कोई भूमिका नहीं थी. यह तनाव तब बढ़ा जब 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में एक आतंकवादी हमले में 26 नागरिकों की मौत हो गई थी. इसके जवाब में भारत ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों पर ‘ऑपरेशन सिंदूर’ नाम से सैन्य कार्रवाई शुरू की. चार दिनों तक चले इस अभियान में ड्रोन और मिसाइल हमलों का इस्तेमाल किया गया.

इसे भी पढ़ें: भारतीय सेना के काफिले पर पत्थर से हमला, देखें वीडियो, जानें क्या है सच्चाई?

इसके बाद दोनों देशों ने 10 मई को संघर्ष विराम पर सहमति जताई. हालांकि अमेरिका दावा कर रहा है कि यह उसके प्रयासों से संभव हुआ, भारत इस बात पर अडिग है कि यह निर्णय पूरी तरह द्विपक्षीय था और किसी बाहरी ताकत की मध्यस्थता नहीं हुई. इस मुद्दे ने अमेरिका और भारत के बीच राजनयिक स्थिति को लेकर सवाल खड़े कर दिए हैं, खासकर ऐसे समय में जब दक्षिण एशिया में स्थायित्व और सुरक्षा को लेकर वैश्विक चिंता बनी हुई है.

इसे भी पढ़ें: चीन को चाहिए 3 करोड़ दुल्हन, लेकिन क्यों? सच्चाई जान उड़ जाएंगे होश!

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version