अफगानिस्तान के हेरात प्रांत में शनिवार को आए 6.3 तीव्रता के भूकंप के दो झटकों में दर्जनों लोगों की मौत हो गई. अफगानिस्तान के राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण ने यह जानकारी दी. संयुक्त राष्ट्र ने 320 लोगों के मारे जाने का प्रारंभिक आंकड़ा दिया था, हालांकि बाद में उन्होंने कहा कि आंकड़े की अभी पुष्टि की जा रही है. मानवीय मामलों के समन्वय के लिए संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के उसी अपडेट के अनुसार, स्थानीय अधिकारियों ने 100 लोगों के मारे जाने और 500 घायल होने का अनुमान लगाया है.
राष्ट्रीय आपदा प्राधिकरण के प्रवक्ता मोहम्मद अब्दुल्ला जान ने बताया कि हेरात में जेंदा जान जिले के चार गांवों को भूकंप और झटकों से सबसे ज्यादा नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि दर्जनों मकान क्षतिग्रस्त हो गये हैं. अमेरिकी भूगर्भ सर्वेक्षण ने बताया कि 6.3 तीव्रता के झटके आए. भूकंप का केंद्र हेरात शहर से 40 किलोमीटर उत्तर-पश्चिम में था. बाद में भी 5.5 तीव्रता का झटका महसूस किया गया. सर्वेक्षण की वेबसाइट पर पोस्ट किया गया एक नक्शा इस क्षेत्र में सात भूकंपों का संकेत देता है.
हेरात शहर के निवासी अब्दुल समदी ने कहा, दोपहर के समय शहर में कम से कम पांच शक्तिशाली भूकंप आए. समदी ने कहा, ‘‘लोग अपने घरों से बाहर निकल गए हैं. घर, कार्यालय और दुकानें सभी खाली हैं. आगे और झटके आने की आशंका है.’’ समदी ने कहा, ‘‘मैं और मेरा परिवार अपने घर के अंदर थे. मुझे भूकंप महसूस हुआ.’’ उसने कहा कि उनका परिवार शोर मचाने लगा और बाहर निकल गया और वापस अंदर जाने से डर रहा है. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा कि उसने हताहतों को अस्पतालों तक पहुंचाने के लिए जेंदा जान इलाके में 12 एम्बुलेंस भेजीं.
टेलीफोन लाइन ठप हो जाने के कारण प्रभावित क्षेत्रों से सटीक विवरण प्राप्त करने में कठिनाई हो रही है. सोशल मीडिया पर सामने आए वीडियो में हेरात शहर में सैकड़ों लोग अपने घरों और कार्यालयों के बाहर सड़कों पर दिखाई दे रहे हैं. हेरात प्रांत की सीमा ईरान से लगती है. स्थानीय मीडिया की खबरों के अनुसार, भूकंप आसपास के फराह और बदगीस प्रांतों में भी महसूस किया गया. लिबान द्वारा नियुक्त आर्थिक मामलों के उप प्रधानमंत्री अब्दुल गनी बरादर ने हेरात और बदगीस में भूकंप में मारे गए लोगों और घायलों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त की. जून 2022 में, पूर्वी अफगानिस्तान में शक्तिशाली भूकंप आया, जिसमें कई मकान जमींदोज हो गए. यह भूकंप अफगानिस्तान में दो दशकों में सबसे भीषण था, जिसमें कम से कम 1,000 लोग मारे गए और लगभग 1,500 लोग घायल हो गए.