युद्ध और भूख ने बनाया गाज़ा को ज़िंदा लाशों का इलाका
अक्टूबर 2023 से शुरू हुआ इजरायल और हमास के बीच युद्ध अब तक खत्म नहीं हुआ है. लगातार बमबारी और नाकाबंदी के चलते ग़ाज़ा में खाद्यान्न संकट चरम पर पहुंच चुका है. 2 मार्च से 19 मई 2025 के बीच ग़ाज़ा लगभग पूरी तरह से बाहरी दुनिया से कट गया. सीमित मानवीय राहत सामग्री ही पहुंच पाई, वो भी भारी अंतरराष्ट्रीय दबाव के बाद.
सोशल मीडिया पर वायरल हुई लोगों की पीड़ा
एक वायरल पोस्ट में ग़ाज़ा निवासी मोहम्मद जवाद ने लिखा, “लंबे इंतजार के बाद मुझे रविफ के पसंदीदा बिस्किट मिल गए। कीमत 1.5 यूरो से बढ़कर 24 यूरो हो गई, लेकिन मैं उसे देने से खुद को रोक नहीं सका.” इसका अर्थ है कि अब ग़ाज़ा में पारले-जी की कीमत ₹2,351 तक पहुंच चुकी है. जो सामान्य मूल्य से 500 गुना ज्यादा है.
बंटनी थी रोटी, मिल गई मौत
भोजन के लिए कतार में लगे लोगों पर भी मौत मंडरा रही है. हाल ही में एक राहत कैंप पर इजरायली फायरिंग में 26 लोगों की मौत हो गई. अब तक इस युद्ध में 54,000 से ज्यादा लोगों की जान जा चुकी है और लाखों लोग शरणार्थी बन चुके हैं.