Flood In Pakistan: बाढ़ से प्रभावित मुसलमानों को मंदिर में मिली शरण, हिंदू समुदाय ने पेश की मिसाल

Flood In Pakistan: पाकिस्तान में आए बाढ़ से प्राभावित लोगों को हिंदू मंदिर में शरण दी गई है. इस दौरान 100 कमरों वाले मंदिर में बाढ़ पीड़ितों को रहने-खाने की पूरी व्यवस्था की गई है. इसके साथ ही चिकित्सकिय सुविधा भी प्रदान की जा

By Prabhat Khabar Digital Desk | September 13, 2022 8:11 AM
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Flood In Pakistan: पाकिस्तान में आए बाढ़ के बाद वहां के लोगों का जीवन अस्त व्यस्त हो चुका है, लोगों की हालत बद से बदत्तर हो गई है. बाढ़ का पानी कम हो तो रहा लेकिन पाकिस्तान के लोगों को राहत नहीं मिल रही है. बाढ़ में फंसे पाकिस्तानियों और विस्थापित लाखों लोगों को मदद की राह देख रहें. इस बीच पाकिस्तान के बालूचिस्तान के एक छोटे से गांव में एक हिंदू मंदिर ने वहां से लोगों के लिए मंदिर का दरवाजा खोल दिया है. जहां करीब 200 से 300 बाढ़ पीड़ित लोगों को सहारा दिया गया है. मंदिर की ओर से उन पीड़ितो को रहने खाने की पूरी व्यवस्था की गई है.

बता दें कि बालूचिस्तान के खां गांव में ऊंची जमीन पर स्थित बाबा माधोदास मंदिर के 100 कमरों वाले मंदिर में सभी लोगों को सुरक्षित रखा गया है. लोगों को मुफ्त भोजन भी दिया जा रहा है. यही नहीं हिंदू मंदिर ने न केवल बाढ़ प्रभावित लोगों को बल्कि उनके पशुओं को भी आसरा दिया है. जानकारी के मुताबिक बताया गया कि मंदिर में करीब 200 से 300 बाढ़ पीड़ित मौजूद हैं, जिन्हें सम्मान के साथ हर दिन भोजन और नाश्ता कराया जा रहा है. बता दें कि क्षेत्र में नारी, बोलन और लहरी नदियों में आई बाढ़ के कारण ये गांव पूरे सभी राज्यों से कट चुका है. मंदिर की ओर से बाढ़ पीड़ितों को भोजन और आश्रय प्रदान करके इंसानियत और नेकदिली का परिचय दिया है.

एक रिपोर्ट के मुताबिक जलाल खान में हिंदू समुदाय के अधिकांश लोग रोजगार और अन्य अवसरों के लिए कच्छी के दूसरे शहरों में पलायन कर चुके हैं. कुछ परिवार इस मंदिर की देखभाल के लिए इसी परिसर में रहता है. तहसील के एक वर्तमान में मंदिर के प्रभारी हैं, जबकि एक डॉक्टर इसरार मुघेरी ने मंदिर में ही लोगों की सुरक्षा के लिए मेडिकल कैंप लगाया है. हिंदुओं द्वारा लाउडस्पीकर पर मुस्लिमों को मंदिर में शरण लेने की घोषणा भी की गईं है.

स्थानीय लोगों ने बताया कि बंटवारे से पहले बाबा माधोदास हिंदू संत थे, उनमें क्षेत्र के मुसलमानों और हिंदुओं की एक जैसी आस्था थी. भाग नारी तहसील से अक्सर इस गांव आने वाले इल्तफ बुजदारों का कहना है कि वह ऊंट पर यात्रा करते थे. उनके लिए धार्मिक सीमाओं के पार लोगों की जाति और विश्वास के बजाय मानवता सबसे ऊपर बढ़कर था.

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