ब्लड मनी से बच सकती है जान
अब निमिषा को बचाने का एकमात्र रास्ता ‘ब्लड मनी’ माना जा रहा है. इस्लामिक देशों में ब्लड मनी उस आर्थिक मुआवजे को कहा जाता है, जो किसी आरोपी के परिवार की तरफ से मृतक के परिजनों को दिया जाता है, ताकि वे उसे माफ कर दें. निमिषा के परिवार ने कथित तौर पर यमनी नागरिक तलाल अब्दो मेहदी के परिवार को 10 लाख डॉलर यानी करीब 8.6 करोड़ रुपये की पेशकश की है. हालांकि, यमनी परिवार की तरफ से अभी तक न तो हां में जवाब आया है और न ही इनकार किया गया है.
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क्या है पूरा मामला? (Nimisha Priya Death Penalty In Yemen0
निमिषा प्रिया साल 2008 में बेहतर रोजगार के लिए यमन गई थीं. वहां उन्होंने कुछ साल अस्पतालों में बतौर नर्स काम किया और बाद में खुद का एक क्लिनिक खोल लिया. यमन के नियमों के तहत किसी विदेशी को बिजनेस शुरू करने के लिए स्थानीय नागरिक को पार्टनर बनाना पड़ता है. निमिषा ने तलाल अब्दो मेहदी को अपना पार्टनर बनाया. लेकिन कुछ ही समय में मेहदी ने उन्हें प्रताड़ित करना शुरू कर दिया. उसने निमिषा का पासपोर्ट भी जब्त कर लिया था. साल 2017 में निमिषा ने मेहदी से छुटकारा पाने के लिए उसे बेहोशी की दवा दी, ताकि पासपोर्ट वापस ले सके. लेकिन ओवरडोज के कारण मेहदी की मौत हो गई. देश छोड़ने की कोशिश करते वक्त निमिषा को गिरफ्तार कर लिया गया. साल 2020 में यमन की अदालत ने उन्हें मौत की सजा सुनाई.
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अब बस एक उम्मीद, माफी
‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ के कार्यकर्ता बाबू जॉन ने बताया कि निमिषा का परिवार मारे गए व्यक्ति के परिजनों को मनाने की पूरी कोशिश कर रहा है. उन्होंने यमन में सना में मौजूद सैमुअल जेरोम को बातचीत के लिए पावर ऑफ अटॉर्नी दिया है. जेरोम पिछले कई महीनों से पीड़ित परिवार से संपर्क में हैं. बाबू जॉन ने एनडीटीवी को बताया कि, अगर यमनी परिवार राजी होता है, तो हम पैसे जुटाकर उन्हें दे देंगे और उम्मीद है कि निमिषा को माफ कर दिया जाएगा. निमिषा प्रिया फिलहाल यमन की जेल में बंद हैं, लेकिन वहां भी वह एक नर्स के तौर पर बाकी कैदियों की सेवा कर रही हैं. उनकी 12 वर्षीय बेटी फिलहाल केरल के एक कॉन्वेंट स्कूल में रह रही है. मां एर्नाकुलम में घरेलू सहायिका हैं, जबकि पति टोमी एक ऑटो चालक हैं.
सेव निमिषा अभियान से जुड़ा भारतीय समाज
निमिषा को बचाने के लिए 2020 में ‘सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल’ की स्थापना प्रवासी भारतीयों के एक समूह ने की थी. यह संस्था भारत के अटॉर्नी जनरल से लेकर विदेश मंत्रालय तक हर स्तर पर सक्रिय है. अब सबकी नजर यमनी परिवार के फैसले पर टिकी है. 16 जुलाई में कुछ ही दिन बाकी हैं. अगर इस बीच माफी नहीं मिलती है, तो निमिषा को फांसी दे दी जाएगी. यह सिर्फ एक कानूनी लड़ाई नहीं, एक मां की पुकार और बेटी की जिंदगी का सवाल है.