भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रंधीर जायसवाल ने बताया कि अब तक कुल 517 भारतीय नागरिकों को ईरान से सुरक्षित निकाल लिया गया है. तुर्कमेनिस्तान की राजधानी अश्गाबात से एक विशेष निकासी उड़ान 21 जून की सुबह 3 बजे नई दिल्ली पहुंची. इस विमान में उन भारतीय नागरिकों को लाया गया था जिन्हें ईरान से निकाला गया था. MEA प्रवक्ता ने इस ऑपरेशन को लेकर जानकारी देते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “ऑपरेशन सिंधु जारी है और भारत अपने नागरिकों की सुरक्षित वापसी सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है.”
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भारतीय दूतावास ने नेपाल और श्रीलंका के नागरिकों की सहायता के लिए भी व्यवस्था की है. दूतावास ने तीन आपातकालीन संपर्क नंबर (+989010144557, +989128109115, +989128109109) और एक टेलीग्राम चैनल जारी किया है, ताकि जो लोग ईरान से बाहर निकलना चाहते हैं, वे सीधे संपर्क कर सकें. भारतीय, नेपाली और श्रीलंकाई नागरिकों से अपील की गई है कि वे समय रहते इन माध्यमों के जरिये अपनी जानकारी साझा करें ताकि उन्हें सुरक्षित निकाला जा सके.
ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष की बात करें तो यह 13 जून को उस वक्त और तेज हो गया जब इजरायल ने ईरान के सैन्य और परमाणु ठिकानों पर “ऑपरेशन राइजिंग लायन” के तहत हमला किया. इसके जवाब में ईरान ने “ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस 3” नाम से इजरायल की ऊर्जा और ईंधन सप्लाई से जुड़े ठिकानों को निशाना बनाया. इस पूरे संघर्ष को 9 दिन हो चुके हैं और हालात अभी भी बेहद गंभीर हैं.
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भारत इससे पहले भी कई बार संकटग्रस्त क्षेत्रों से अपने नागरिकों को सुरक्षित निकालने में सफल रहा है. ऑपरेशन कावेरी (सूडान, 2023), ऑपरेशन अजय (इजरायल-हमास युद्ध, 2023), ऑपरेशन गंगा (रूस-यूक्रेन युद्ध, 2022), देवी शक्ति (अफगानिस्तान, 2021), समुद्र सेतु (कोविड-19, 2020), राहत (यमन, 2015) और सेफ होमकमिंग (लीबिया, 2011) जैसे कई उदाहरण इस बात की गवाही देते हैं.
इस बार भारत को ईरान से अपने नागरिकों को निकालने में विशेष सहयोग मिला है. ईरान सरकार ने मशहद शहर से 1,000 से अधिक भारतीय नागरिकों को निकालने के लिए तीन विशेष उड़ानों के संचालन की अनुमति दी है. अधिकतर निकाले जा रहे लोग छात्र हैं जिन्हें तेहरान से मशहद लाया गया था. ईरानी एयरलाइन इन उड़ानों का संचालन कर रही है और भारत इसका प्रबंधन कर रहा है. अगर जरूरत पड़ी तो और उड़ानें भी चलाई जाएंगी. भारत की यह कार्रवाई न केवल अपने नागरिकों की सुरक्षा की गारंटी देती है, बल्कि मानवीय मूल्यों और क्षेत्रीय सहयोग की भावना का भी प्रतीक है.
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