क्या है जीरो फॉर जीरो टैरिफ?
रेसिप्रोकल टैरिफ के जवाब में भारत के लिए एक बेहतरीन उपाय ‘जीरो फॉर जीरो टैरिफ’ हो सकता है. इसके तहत भारत विशिष्ट उत्पादों या उत्पाद श्रेणियों पर आयात शुल्क को शून्य कर सकता है. इसके बदले में, अमेरिका को भी उन उत्पादों पर आयात शुल्क शून्य करना पड़ेगा. इस तरह, भारत द्वारा अमेरिकी उत्पादों पर जो उच्च टैरिफ लगाए जाते हैं, वे घट सकते हैं, और इसके साथ ही भारत पर लागू होने वाले रेसिप्रोकल टैरिफ का प्रभाव भी लगभग समाप्त हो जाएगा.
द्विपक्षीय व्यापार समझौते की तुलना में जीरो फॉर जीरो टैरिफ की लाभकारी रणनीति
द्विपक्षीय व्यापार समझौते की तुलना में, जीरो फॉर जीरो टैरिफ नीति अधिक प्रभावी और त्वरित साबित हो सकती है. द्विपक्षीय व्यापार समझौते पर बातचीत में समय लगेगा, और समझौते के बावजूद अमेरिका द्वारा लगाए जाने वाले रेसिप्रोकल टैरिफ जारी रह सकते हैं. वहीं, जीरो फॉर जीरो नीति को तुरंत लागू किया जा सकता है, जिससे विवादों का समाधान शीघ्र हो सकता है. ग्लोबल ट्रेड रिसर्च इनिशिएटिव के अनुसार, इस नीति को अपनाना भारत के लिए अधिक लाभकारी होगा, क्योंकि इससे उसे अपने कृषि क्षेत्र को खोलने जैसी समस्याओं का सामना नहीं करना पड़ेगा, जो द्विपक्षीय समझौते में हो सकता है.
भारत पर क्या है रेसिप्रोकल टैरिफ का प्रभाव
अगर रेसिप्रोकल टैरिफ सभी आयातों पर समान रूप से लागू होता है, तो भारतीय निर्यातों पर मौजूदा 2.9% के बजाय 4.9% अतिरिक्त शुल्क लग सकता है. यदि अमेरिका यह टैरिफ सेक्टर वाइज लागू करता है, तो भारत के कृषि, फार्मास्यूटिकल्स, डायमंड्स, जूलरी और इलेक्ट्रॉनिक्स जैसे क्षेत्रों पर भारी असर पड़ेगा. हालांकि, यदि यह टैरिफ केवल कुछ उत्पादों पर लागू होता है, तो इसका प्रभाव सीमित हो सकता है, क्योंकि भारत और अमेरिका के बीच अधिकांश उत्पादों में सीधा व्यापार नहीं होता है. लेकिन फिर भी, भारत पर असर जरूर पड़ेगा क्योंकि भारत के आयात शुल्क अमेरिका की तुलना में अधिक हैं.