गुरुवार को जारी इस रिपोर्ट में आयोग ने गाजा में हो रहे व्यापक विनाश, रिहायशी इलाकों में भारी विस्फोटकों के उपयोग और अस्पतालों व स्वास्थ्य केंद्रों पर इजराइली हमलों की जांच की. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि इजराइली सुरक्षाबलों ने फलस्तीनी कैदियों के खिलाफ दुष्कर्म और यौन उत्पीड़न किया है. इसके अलावा, इसमें फलस्तीनी महिलाओं, पुरुषों, लड़कियों और लड़कों के खिलाफ किए गए विभिन्न प्रकार के उत्पीड़न का जिक्र किया गया है.
इजराइली प्रशासन ने इन सभी आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि वे कैदियों के साथ किसी भी प्रकार के दुर्व्यवहार में शामिल नहीं हैं और यदि किसी भी तरह के उत्पीड़न की शिकायत मिलती है तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाती है. जिनेवा में आयोजित एक प्रेस वार्ता में आयोग के सदस्य क्रिस सिडोटी ने कहा कि उनकी रिपोर्ट में यह निष्कर्ष निकला है कि इजराइल ने फलस्तीनी लोगों के आत्मनिर्णय के अधिकार को कमजोर करने के उद्देश्य से उनके खिलाफ यौन उत्पीड़न और लैंगिक हिंसा का इस्तेमाल किया.
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जिनेवा में इजराइल के मिशन ने इन आरोपों को “असत्य” बताते हुए कहा कि आयोग ने अपनी रिपोर्ट में अपुष्ट स्रोतों पर भरोसा किया है. इजराइल का यह भी दावा है कि उसने युद्ध में नागरिकों को सुरक्षित रखने के लिए हरसंभव कदम उठाए हैं. वहीं, हमास ने इस रिपोर्ट का हवाला देते हुए अंतरराष्ट्रीय न्यायालयों से इजराइल के नेताओं पर मुकदमा चलाने की मांग की है.
इस मामले में अंतरराष्ट्रीय अपराध न्यायालय (आईसीसी) ने पहले ही नेतन्याहू और उनके पूर्व रक्षा मंत्री के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी किया है और उन पर युद्ध अपराधों के आरोप लगाए हैं, जिनका नेतन्याहू ने खंडन किया है.
गौरतलब है कि यह युद्ध तब शुरू हुआ जब 7 अक्टूबर 2023 को हमास के चरमपंथियों ने दक्षिणी इजराइल पर हमला किया था. इस हमले में लगभग 1,200 लोगों की मौत हो गई थी, जिनमें अधिकांश नागरिक थे, और 251 लोगों को बंधक बना लिया गया था. इसके जवाब में इजराइल ने गाजा पट्टी में सैन्य कार्रवाई तेज कर दी, जिससे हजारों लोगों की जान चली गई और लाखों लोग विस्थापित हो गए.
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यह रिपोर्ट ऐसे समय में आई है जब अंतरराष्ट्रीय समुदाय पहले से ही गाजा युद्ध पर बंटा हुआ है. कुछ देश इजराइल के समर्थन में हैं, जबकि कुछ इसे मानवाधिकारों का उल्लंघन मानते हुए इसकी आलोचना कर रहे हैं. इस रिपोर्ट के निष्कर्ष आने के बाद यह विवाद और बढ़ सकता है.