सीजफायर कैसे बना ईरान के लिए वरदान?

Israel-Iran War: मध्य पूर्व में ईरान और इजराइल के बीच चला 12 दिन का युद्ध अब थम चुका है. लेकिन इस दौरान पूरे क्षेत्र में जबरदस्त तनाव और उथल-पुथल देखने को मिली. अब जानकार कह रहे ये ईरान के लिए वरदान साबित हुआ है.

By Ayush Raj Dwivedi | June 24, 2025 2:16 PM
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Israel-Iran War: मध्य पूर्व में 12 दिनों तक चली ईरान और इजराइल के बीच खतरनाक जंग आखिरकार थम गई है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की मध्यस्थता से दोनों देशों के बीच सीजफायर हो गया है. इस कदम से उस तनाव पर विराम लग गया है जो धीरे-धीरे पूरी खाड़ी को युद्ध की आग में झोंकने की ओर बढ़ रहा था.

अमेरिका की एंट्री से तनाव और भड़का

इस युद्ध की शुरुआत 13 जून को हुई थी, जब इजराइल ने ईरान की न्यूक्लियर साइट्स पर हमला किया. इसमें कई ईरानी सैन्य अफसर और वैज्ञानिक मारे गए. इसके जवाब में ईरान ने भी इजराइल पर जोरदार हमला किया. कुछ ही दिनों में अमेरिका ने भी इस संघर्ष में दखल दिया और ईरान पर हमला किया। इसके बाद ईरान ने कतर में अमेरिकी सैन्य अड्डे को निशाना बनाकर जवाबी हमला कर दिया.

सऊदी और कतर की प्रतिक्रिया से बढ़ा खतरा

ईरान का हमला सऊदी अरब और कतर को भी रास नहीं आया. सऊदी अरब ने ईरान की कार्रवाई को “गैर-जिम्मेदाराना” बताया, जबकि कतर ने इसे अपनी संप्रभुता पर हमला करार देते हुए जवाबी कार्रवाई का अधिकार जताया. इससे पूरे मिडिल ईस्ट में जंग के और फैलने का खतरा पैदा हो गया था.

सीजफायर से टली बड़ी तबाही

ऐसे हालात में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने सीजफायर की घोषणा की, जिससे मिडिल ईस्ट में एक बड़ी तबाही टल गई. अगर ये संघर्ष और आगे बढ़ता, तो सऊदी और कतर जैसे मुस्लिम देश भी इसमें शामिल हो सकते थे, जिससे ये क्षेत्रीय युद्ध एक अंतरराष्ट्रीय युद्ध में तब्दील हो सकता था.

खामेनेई की सत्ता और जान बची

इस सीजफायर के जरिए ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्ला खामेनेई की सत्ता और जान दोनों बच गईं. खबरों के अनुसार, युद्ध के दौरान उन पर कई बार जानलेवा हमले की आशंका बनी रही, जिस कारण वे बंकर में शरण लेने और संचार माध्यमों से दूर रहने को मजबूर हो गए थे.

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