दूसरे आदमी के बच्चे की मां बनी महिला, मामला है संगीन, जानिए कैसे?

IVF प्रक्रिया के दौरान एक महिला ने अनजाने में अजनबी के बच्चे को जन्म दे दिया. मोनाश IVF क्लिनिक की इस बड़ी गलती ने मेडिकल सिस्टम की लापरवाही उजागर की है.

By Aman Kumar Pandey | April 11, 2025 5:18 PM
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IVF: ऑस्ट्रेलिया के ब्रिस्बेन शहर में इन विट्रो फर्टिलाइजेशन (IVF) के दौरान एक ऐसी चौंकाने वाली गलती हुई, जिसने चिकित्सा व्यवस्था की विश्वसनीयता पर सवाल खड़े कर दिए हैं. मोनाश IVF क्लिनिक की एक मरीज ने अनजाने में उस बच्चे को जन्म दिया, जिसका भ्रूण दरअसल किसी और दंपत्ति का था.

कैसे सामने आई IVF की गलती?

फरवरी 2024 में स्टाफ ने देखा कि एक दंपति के स्टोरेज में जरूरत से ज्यादा भ्रूण मौजूद हैं. जब जांच की गई तो पाया गया कि क्लिनिक ने गलती से एक महिला को किसी अन्य दंपत्ति का भ्रूण ट्रांसफर कर दिया था. रिपोर्ट्स के मुताबिक, बच्चे का रंग उस दंपति से मेल नहीं खाता जिसने भ्रूण ट्रांसफर कराया था—वहीं से गलती का पता चला.

IVF क्लिनिक ने मानी चूक, CEO ने मांगी माफी

मोनाश IVF, जो देश की सबसे बड़ी फर्टिलिटी सर्विस प्रोवाइडर में से एक है, ने इस मानवीय त्रुटि को स्वीकार करते हुए माफी मांगी है. CEO माइकल क्नैप ने बयान में कहा, “हम इससे गहरे दुखी हैं और पूरी तरह से सहयोग करेंगे ताकि प्रभावित परिवार को न्याय मिल सके.” मामला अब सरकारी नियामक संस्था के पास है.

700 से ज्यादा IVF मरीज पहले ही कर चुके हैं केस

ये वही क्लिनिक है जिसने पिछले साल IVF से जुड़ी लापरवाहियों के चलते 700 से अधिक मरीजों के क्लास-एक्शन मुकदमे में 56 मिलियन ऑस्ट्रेलियन डॉलर का समझौता किया था.

दुनिया भर में सामने आ चुके हैं IVF के ऐसे केस

इस तरह की घटनाएं सिर्फ ऑस्ट्रेलिया में ही नहीं, बल्कि अमेरिका, ब्रिटेन, इजरायल और यूरोप में भी सामने आ चुकी हैं. हाल ही में अमेरिका की एक महिला ने भी ऐसे ही केस में बच्चा जन्म देने के बाद उसे उसके जैविक माता-पिता को सौंप दिया.

IVF कानूनों में एकरूपता की कमी बनी बड़ी वजह

विशेषज्ञों का मानना है कि ऑस्ट्रेलिया में राज्यों के अनुसार IVF कानूनों में अंतर होना भी ऐसी गलतियों की एक बड़ी वजह है. इसी साल क्वींसलैंड राज्य ने IVF नियमों को कानून का रूप दिया है, जिससे इन प्रक्रियाओं में पारदर्शिता बढ़ाने की कोशिश की गई है.

IVF के नियम सख्त होंगे

सोशल सर्विसेज मंत्री अमांडा रिशवर्थ ने कहा कि राज्यों को IVF प्रक्रियाओं की समीक्षा करनी चाहिए. यह घटना दिखाती है कि मेडिकल सिस्टम में एक समान, कड़े और पारदर्शी नियम कितने जरूरी हैं.

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