Look Back 2024 : साल 2024 अलविदा कहने वाला है. इसके बाद नये साल यानी 2025 का आगमन हो जाएगा. इस साल कई ऐसी चीजें हुईं जिसे लोग याद कर रहे हैं. इसमें से एक बांग्लादेश का आंदोलन भी है, जिसकी वजह से तत्कालीन पीएम शेख हसीना को देश छोड़कर भागना पड़ा. हसीना ने बांग्लादेश के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया और भारत में शरण ले ली. देश छोड़ते वक्त उनके साथ उनकी बहन शेख रेहाना भी थीं.
पीएम शेख हसीना के देश छोड़ने के बाद आर्मी चीफ जनरल वकार-उज-जमान ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित किया. उन्होंने कहा कि बांग्लादेश में एक अंतरिम सरकार बनाई जाएगी. इसके बाद बांग्लादेश की राजधानी ढाका में हालात बेकाबू होते नजर आए. ढाका में बड़े पैमाने पर लूटपाट की घटनाएं हुई. हजारों प्रदर्शनकारियों ने हसीना के आधिकारिक आवास पर जमकर लूट पाट की. उनके कपड़ों तक को उठाकर वे ले गए जिसकी तस्वीर सोशल मीडिया पर काफी वायरल हुई.
पीएम आवास सहित सरकारी इमारतों पर किए गए हमले
इससे पहले छात्र नेताओं की ओर से किए गए ‘ढाका तक लॉंग मार्च’ का आह्वान किया गया था. हजारों लोगों ने ढाका के उपनगरीय इलाको की ओर कूच किया. मीडिया में खबर आई कि हजारों लोग शाहबाग की ओर पैदल और रिक्शा से मार्च कर रहे थे. मार्च करने वालों में काफी संख्या में महिलाएं नजर आईं. शाहबाग का इलाका आवागमन का एक बड़ा हब है. इस शहर का केंद्र, यहां के कई पार्क और विश्वविद्यालय हैं. सेना सड़कों पर तैनात है लेकिन मार्च करने वालों को रोकने की उसने जहमत नहीं उठाई.
ढाका के केंद्रीय इलाके में बड़े पैमाने पर आगजनी की घटनाएं हुई. अवामी लीग के ऑफिस, मुजीब म्यूजियम, पुलिस हेडक्वार्टर की बिल्डिंग पर प्रदर्शनकारियों ने जमकर तांडव मचाया. इन्हें आग के हवाले कर दिया. शेख हसीना के पिता शेख मुजीबुर्रहमान की मूर्ति को भी तोड़ दिया गया.
क्यों फैली बांग्लादेश में हिंसा?
1971 में बांग्लादेश की आजादी के लिए लड़ने वालों स्वतंत्रता सेनानियों के रिश्तेदारों के लिए कई सिविल सेवा नौकरियों में दिए गए आरक्षण को लेकर बवाल शुरू हुआ. इसे लेकर छात्र सड़कों पर उतर आए. हालांकि सरकार ने अधिकांश कोटा वापस ले लिए, लेकिन छात्रों ने अपना विरोध प्रदर्शन जारी रहा. वे हसीना सरकार के इस्तीफे की मांग पर अड़े रहे. ये छात्र मारे गए लोगों और घायलों के लिए इंसाफ की मांग कर रहे थे. बढ़ते विरोध प्रदर्शनों और हिंसा को खत्म करने के लिए शेख हसीना ने छात्र नेताओं के साथ बिना शर्त बातचीत की पेशकश की. इसके बाद भी छात्र प्रदर्शनकारियों ने उनके प्रस्ताव को ठुकरा दिया और ढाका कूच का ऐलान कर दिया.
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