क्या महिलाओं को नहीं मिलेगा पुरुषों जैसा अधिकार? छीन जाएगा संपत्ति का हिस्सा!   

Bangladesh: आयोग ने विवाह तलाक, संपत्ति में अधिकार जैसे मुद्दों पर समान नागरिक संहिता लागू करने की सिफारिश की थी.

By Aman Kumar Pandey | April 23, 2025 2:51 PM
an image

Bangladesh: बांग्लादेश में धार्मिक संगठनों ने महिला अधिकार आयोग को खत्म करने की मांग तेज कर दी है. शेख हसीना सरकार द्वारा स्थापित इस आयोग ने समान नागरिक संहिता की सिफारिश की थी, जिसे कट्टरपंथी “इस्लाम विरोधी” और “पश्चिमी विचारधारा” बता रहे हैं.

बांग्लादेश में इन दिनों महिलाओं के अधिकारों को लेकर नई बहस छिड़ गई है. हाल के राजनीतिक घटनाक्रमों के बाद, कट्टर धार्मिक संगठनों का प्रभाव फिर से बढ़ता नजर आ रहा है. खासकर, शेख हसीना सरकार के कार्यकाल में गठित “महिला मामलों में सुधार आयोग” अब धार्मिक संगठनों के निशाने पर है. हिफाजत-ए-इस्लाम और जमात-ए-इस्लामी जैसे शक्तिशाली धार्मिक दल इस आयोग को समाप्त करने की मांग कर रहे हैं.

इसे भी पढ़ें: सुहागरात से पहले विधवा बनी दुल्हन, करती रही इंतजार…

गौरतलब है कि शेख हसीना ने अपने कार्यकाल में कट्टरपंथी ताकतों के खिलाफ सख्त रुख अपनाया था और महिलाओं के अधिकारों को बढ़ावा देने के लिए यह आयोग स्थापित किया था. आयोग ने विवाह, तलाक, संपत्ति में अधिकार जैसे मुद्दों पर समान नागरिक संहिता लागू करने की सिफारिश की थी. इसका उद्देश्य मुस्लिम पर्सनल लॉ की जगह एक ऐसा कानून लाना था जो सभी नागरिकों के लिए समान हो और महिलाओं के साथ होने वाले भेदभाव को समाप्त कर सके.

इसे भी पढ़ें: पाकिस्तान पर ‘हवाई हमला’ कब करेगा भारत? बड़े पत्रकार ने बताई तारीख!

हालांकि अगस्त 2024 में छात्र आंदोलनों के बाद शेख हसीना की सरकार सत्ता से बाहर हो गई, जिससे देश की राजनीति में बड़ा बदलाव आया. अब जब धार्मिक संगठन दोबारा ताकत हासिल कर रहे हैं, तो वे महिला अधिकारों में सुधार के इस प्रयास को “इस्लामी मूल्यों के खिलाफ” बता रहे हैं.

इसे भी पढ़ें: पहले धर्म पूछा, फिर कहा कलमा पढ़ो, नाम पूछ-पूछ कर मार दी गोली, दर्दनाक मंजर की खौफनाक दास्तां

हिफाजत-ए-इस्लाम के नेता अजीज़ुल हक इस्लामाबादी का कहना है कि समानता की अवधारणा पश्चिमी संस्कृति से प्रेरित है और इससे पारंपरिक इस्लामिक कानून कमजोर होगा. वहीं, जमात-ए-इस्लामी के महासचिव मियां गोलाम परवार ने आयोग की सिफारिशों को “इस्लामी सोच को विकृत करने की साजिश” करार दिया है. इन दोनों संगठनों की मांग है कि आयोग को तुरंत भंग किया जाए.

इसे भी पढ़ें: एक्शन में भारत, पहलगाम पहुंचे अमित शाह, NSA डोभाल के साथ रक्षा मंत्री की बैठक

उधर, आयोग की ओर से यह तर्क दिया गया कि बांग्लादेश जैसे देश को महिलाओं की स्थिति सुधारने के लिए साहसिक कदम उठाने होंगे, ताकि वह वैश्विक मंच पर सकारात्मक भूमिका निभा सके. नोबेल पुरस्कार विजेता मोहम्मद यूनुस ने भी आयोग की सिफारिशों का समर्थन करते हुए कहा था कि पूरी दुनिया की निगाहें अब बांग्लादेश पर टिकी हैं.

पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना फिलहाल भारत में निर्वासित जीवन बिता रही हैं और उन पर मानवाधिकार उल्लंघन के गंभीर आरोप हैं. उनके शासनकाल के दौरान हुई प्रदर्शनकारियों की हत्याओं को लेकर अब मुकदमे चल रहे हैं. इन परिस्थितियों में महिला आयोग को लेकर हो रही सियासत, बांग्लादेश की बदलती राजनीतिक और सामाजिक दिशा का प्रतीक बन गई है.

संबंधित खबर
संबंधित खबर और खबरें
होम E-Paper News Snaps News reels
Exit mobile version