NASA: नासा का नया चंद्र मिशन, जिसका नाम ब्लू घोस्ट (आईएम-2) है, जल्द ही चंद्रमा पर उतर सकता है. यह मिशन अमेरिकी एयरोस्पेस कंपनी इंटुएटिव मशीन्स द्वारा विकसित किया गया है और इसे नासा के विज्ञान पेलोड को चंद्रमा की सतह तक पहुंचाने के लिए भेजा गया है. यह अभियान चंद्रमा पर भविष्य में मानव बसाहट और संसाधनों की उपलब्धता की संभावनाओं को तलाशने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.
स्पेसएक्स फाल्कन 9 के जरिए लॉन्च
इस ऐतिहासिक मिशन को बुधवार शाम को फ्लोरिडा स्थित नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर से लॉन्च किया गया था. इसे स्पेसएक्स फाल्कन 9 रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में भेजा गया. नासा के अर्टेमिस प्रोग्राम के तहत यह मिशन भविष्य में चंद्रमा पर इंसानों को बसाने के लिए वहां की परिस्थितियों का अध्ययन करेगा. यही वजह है कि नासा ने इसे ऐतिहासिक मिशन करार दिया है.
Earth rise, Earth set, repeat! Blue Ghost's third and final lunar orbit maneuver is complete! Early this morning, our #GhostRiders performed a 16-second burn with our RCS thrusters to enter a near-circular low lunar orbit. Up next, we'll perform a 19-second Descent Orbit… pic.twitter.com/B8ptv1D0yv
— Firefly Aerospace (@Firefly_Space) February 24, 2025
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चांद पर लैंडिंग और अनुसंधान
ब्लू घोस्ट की लैंडिंग चांद के मेयर क्रिसियम क्षेत्र में होगी, जो एक समतल मैदानी इलाका है. इस स्थान को वैज्ञानिक अनुसंधान के लिए उपयुक्त मानते हुए चुना गया है. चंद्रमा की सतह पर उतरने के बाद यह लैंडर लगभग 14 दिनों तक काम करेगा. इस दौरान यह चंद्रमा के पर्यावरण, उसकी सतह और वहां मौजूद तत्वों का अध्ययन करेगा. मिशन के तहत नासा ने 10 वैज्ञानिक पेलोड भेजे हैं, जो विभिन्न प्रयोगों को अंजाम देंगे. इनमें प्रमुख अध्ययन इस प्रकार हैं:
चंद्रमा के आंतरिक ताप प्रवाह (हीट फ्लो) का अध्ययन – इससे चंद्रमा की भूगर्भीय गतिविधियों को समझने में मदद मिलेगी.
चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग की चुनौतियों का विश्लेषण – यह देखा जाएगा कि भविष्य में कहां और कैसे सुरक्षित लैंडिंग संभव हो सकती है.
पृथ्वी के मैग्नेटोस्फेयर का अध्ययन – एक्स-रे इमेजिंग के जरिए पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र की स्थिति को मापा जाएगा.
चंद्रमा की मिट्टी के व्यवहार का अध्ययन – यह देखा जाएगा कि चंद्र सतह पर धूल और कण कैसे प्रतिक्रिया करते हैं और उनका भविष्य के मिशनों पर क्या प्रभाव पड़ेगा.
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जल स्रोतों की खोज और भविष्य की संभावनाएं
आईएम-2 मिशन चंद्रमा की गतिशीलता, संसाधन पूर्वेक्षण और उप-सतह में मौजूद तत्वों का विश्लेषण करने के लिए तैयार किया गया है. इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा पर जल स्रोतों की उपलब्धता को खोजना और वहां स्थायी अंतरिक्ष बुनियादी ढांचे के निर्माण की संभावनाओं का आकलन करना है.
इंटुएटिव मशीन्स के अनुसार, यह मिशन पृथ्वी से परे स्थायी मानव निवास और संसाधन उपयोग की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हो सकता है. इससे पहले, इंटुएटिव मशीन्स का पहला चंद्र लैंडर ‘ओडीसियस’ पिछले साल चंद्र सतह पर सफलतापूर्वक उतरा था, जो 50 वर्षों में पहली बार अमेरिका द्वारा भेजा गया सफल चंद्र लैंडर था.
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प्राइवेट कंपनियों की भागीदारी और स्पेस एक्सप्लोरेशन में नया युग
इस मिशन की एक खास बात यह भी है कि इसे एक प्राइवेट कंपनी के लैंडर के जरिए चंद्रमा पर भेजा गया है. इससे स्पेस एक्सप्लोरेशन में निजी कंपनियों की भागीदारी को बढ़ावा मिलेगा. यदि ब्लू घोस्ट सफल होता है, तो भविष्य में मंगल और अन्य अंतरिक्ष मिशनों में भी प्राइवेट कंपनियों का सहयोग बढ़ेगा, जिससे कमर्शियल लूनर प्रोग्राम के नए रास्ते खुल सकते हैं.
ब्लू घोस्ट मिशन न केवल नासा के चंद्र अभियानों के लिए बल्कि अंतरिक्ष में निजी कंपनियों की भागीदारी को लेकर भी एक नई शुरुआत है. इससे चंद्रमा पर मानव बस्तियों, संसाधनों के उपयोग और सुरक्षित लैंडिंग के नए तरीके खोजने में मदद मिलेगी. अगर यह मिशन सफल रहता है, तो अंतरिक्ष में मानव जीवन की संभावना को लेकर एक नया युग शुरू हो सकता है.
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