सूत्रों के अनुसार, यह प्रमोशन प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और जनरल मुनीर के बीच एक विशेष समझौते का हिस्सा है, जिसका मकसद पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान को सत्ता से दूर रखना है. इमरान की लोकप्रियता और जन समर्थन को देखते हुए, सेना और सरकार मिलकर उन्हें राजनीति से अलग रखने के लिए एक हाइब्रिड शासन चला रहे हैं जिसमें राजनीतिक फैसले सरकार लेती है, लेकिन रक्षा और सुरक्षा से जुड़े सभी फैसले सेना के हाथ में हैं.
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जनरल मुनीर को फील्ड मार्शल बनाए जाने से उन्हें भविष्य में कोर्ट मार्शल जैसी कार्रवाई से भी संरक्षण मिल जाएगा. माना जा रहा है कि यदि “ऑपरेशन सिंदूर” जैसी सैन्य कार्रवाइयों पर सवाल उठते हैं, तो यह प्रमोशन उन्हें किसी भी सजा से बचा सकता है. साथ ही, यह कदम मुनीर और इमरान खान के बीच लंबे समय से चली आ रही तनातनी की एक कड़ी भी है.
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हालांकि, चर्चाएं हैं कि मुनीर ने यह पद खुद ही हासिल किया है, लेकिन जनता में भरोसा बनाए रखने के लिए इसे शहबाज सरकार की ओर से घोषित करवाया गया है. फिलहाल पाकिस्तान की सत्ता में सेना का प्रभाव और जनरल मुनीर की भूमिका बेहद प्रभावशाली होती जा रही है.
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