हाफिज सईद को 2019 में आतंकी फंडिंग के मामलों में दोषी ठहराकर पाकिस्तान सरकार ने जेल में डाल दिया था. यह कदम फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (FATF) की ग्रे लिस्ट से पाकिस्तान को निकालने के प्रयासों के तहत उठाया गया था. उसे लाहौर की कोट लखपत जेल में रखा गया है, हालांकि समय-समय पर ऐसी खबरें भी आती रही हैं कि वह वास्तव में जेल में नहीं, बल्कि किसी सुरक्षित जगह पर रखा गया है.
अब हाफिज सईद और जमात-उद-दावा के कई अन्य सदस्यों ने लाहौर हाईकोर्ट में याचिका दायर की है, जिसमें उन्होंने अपनी सजा को रद्द करने की मांग की है. यह याचिका हाईकोर्ट की दो सदस्यीय खंडपीठ, जिसमें जस्टिस शाहबाज रिजवी और जस्टिस तारिक महमूद बाजवा शामिल हैं, को सौंपी गई है. हालांकि, इस याचिका पर सुनवाई की कोई स्पष्ट तिथि अब तक घोषित नहीं की गई है.
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यह घटनाक्रम ऐसे समय में सामने आया है जब भारत और पाकिस्तान के बीच पहले से ही युद्ध जैसे हालात बने हुए हैं. विशेषज्ञों का मानना है कि यह याचिका पाकिस्तानी फौज के दबाव में दाखिल करवाई गई हो सकती है. संभव है कि पाकिस्तान एक बार फिर हाफिज सईद जैसे आतंकियों के जरिए अपने आतंकी नेटवर्क को पुनर्जीवित करने की कोशिश कर रहा हो.
गौरतलब है कि अमेरिका ने हाफिज सईद पर 10 मिलियन डॉलर (करीब 83 करोड़ रुपये) का इनाम घोषित कर रखा है, इसके बावजूद वह लंबे समय तक पाकिस्तान में खुलेआम घूमता रहा. केवल FATF के दबाव में आकर पाकिस्तान ने उसे जेल में डालने का नाटक किया था.
अब देखना यह होगा कि पाकिस्तान की अदालतें इस याचिका पर क्या रुख अपनाती हैं और क्या हाफिज सईद को फिर से खुला छोड़ने की कोई साजिश रची जा रही है. यह मामला न केवल पाकिस्तान की आतंकी नीति पर सवाल खड़े करता है, बल्कि दक्षिण एशिया में शांति के लिए एक गंभीर खतरा भी बन सकता है.
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