हाल ही में पाकिस्तान के सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर का चीन दौरा चर्चा में रहा. इस दौरान दोनों देशों ने आपसी सहयोग की बातें कीं. यह तब हुआ जब अमेरिका और चीन विश्व राजनीति में अक्सर एक-दूसरे के विरोधी माने जाते हैं. बावजूद इसके, पाकिस्तान एक बार फिर अमेरिका को ‘ठगने’ में कामयाब हुआ कम से कम दिखने में तो यही लगता है.
दरअसल, भारत पर 25 प्रतिशत टैरिफ लगाने के कुछ ही घंटों बाद अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 30 जुलाई को पाकिस्तान के साथ एक नए समझौते का ऐलान किया. उन्होंने कहा कि अमेरिका, पाकिस्तान के “विशाल तेल भंडारों” को विकसित करने में मदद करेगा. साथ ही यह भी जोड़ा कि हो सकता है, एक दिन पाकिस्तान भारत को तेल बेचे. अब ट्रंप के इस बयान के बाद सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि क्या पाकिस्तान के पास वाकई इतने बड़े तेल भंडार हैं, या यह भी उसकी एक और ‘भ्रमजाल नीति’ का हिस्सा है?
डोनाल्ड ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ‘ट्रुथ सोशल’ पर लिखा कि हमने अभी-अभी पाकिस्तान के साथ एक समझौता किया है. अमेरिका और पाकिस्तान मिलकर उनके विशाल तेल भंडारों को विकसित करेंगे. हम उस तेल कंपनी का चयन करने की प्रक्रिया में हैं जो इस साझेदारी की अगुवाई करेगी. उन्होंने आगे लिखा है कि कौन जाने शायद एक दिन वे भारत को भी तेल बेचें!
पढे़: टैरिफ बम के बाद अमेरिका का अगला वार, 6 भारतीय कंपनियों पर लगाया आर्थिक प्रतिबंध
Pakistan Oil Reserves Trump Deal in Hindi: क्या सच में पाकिस्तान के पास विशाल तेल भंडार हैं?
2016 के वर्ल्डोमीटर आंकड़ों के मुताबिक, पाकिस्तान के पास करीब 35.35 करोड़ बैरल तेल के भंडार हैं, जो उसे दुनिया में 52वें स्थान पर रखता है और यह वैश्विक कुल भंडार का महज 0.021% है. पाकिस्तान प्रतिदिन 88,262 बैरल तेल उत्पादन करता है जबकि खपत 5.56 लाख बैरल प्रतिदिन है. यदि आयात बंद हो जाए, तो उसके पास मात्र दो वर्षों के लिए तेल बचा रहेगा. अमेरिकी इंटरनेशनल ट्रेड एडमिनिस्ट्रेशन (ITA) की 2021 की रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान 2019 तक 80% कच्चा तेल आयात करता था, जबकि सिर्फ 20% घरेलू उत्पादन करता है.
यह भी पढ़ें: ट्रंप की ‘बकैती’ पर ईरान ने लगाया ‘तमाचा’, कहा – अमेरिका भारत की तरक्की रोकने के लिए दिखा रहा है साम्राज्यवाद का डर
पंजाब में तेल और गैस के नए भंडारों का दावा
हाल के महीनों में पाकिस्तान की सरकारी तेल कंपनी OGDCL ने सिंध, खैबर पख्तूनख्वा और पंजाब में तेल और गैस के नए भंडारों की खोज का दावा किया है. सितंबर 2024 में भी पाकिस्तान के समुद्री क्षेत्र में बड़ी खोज की खबरें आई थीं, जिसे कुछ रिपोर्टों ने सऊदी अरब, ईरान और वेनेजुएला के बाद चौथा सबसे बड़ा भंडार बताया था.
लेकिन विशेषज्ञों के अनुसार, इन दावों की अब तक कोई स्वतंत्र पुष्टि नहीं हुई है. न तो इन क्षेत्रों में वाणिज्यिक ड्रिलिंग शुरू हुई है और न ही उनकी गुणवत्ता या मात्रा प्रमाणित हुई है. इन भंडारों को विकसित करने में 5 अरब डॉलर और करीब 5 साल लग सकते हैं. इसके बाद बुनियादी ढांचा खड़ा करने में और अधिक पूंजी लगेगी. वहीं, पाकिस्तान इस समय $126 अरब के विदेशी कर्ज और $17.5 अरब के ऊर्जा आयात व्यय से जूझ रहा है, जो इन परियोजनाओं को और जटिल बना देता है.