इस चौंकाने वाली सूचना के बाद पुलिस ने तत्काल एक्शन लिया और दिसंबर 2023 में स्पेन के अल्जेसिरास बंदरगाह से मोरक्को जाने की कोशिश कर रहे दंपति को फेरी पर सवार होने से पहले ही गिरफ्तार कर लिया. पुलिस जांच में यह भी सामने आया कि दंपति ने अपना घर किराए पर दे दिया था और एक गाड़ी भी खरीदी थी, जिससे संकेत मिलता है कि वे लंबे समय के लिए मोरक्को जाने की तैयारी में थे.
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गुरुवार, 17 जुलाई को इस मामले की सुनवाई बोर्डो की अदालत में शुरू हुई. अभियोजन पक्ष का कहना है कि यह एक सुनियोजित आपराधिक साजिश थी और दंपति ने अपने माता-पिता होने के कर्तव्यों का उल्लंघन किया है. वहीं, आरोपियों ने अदालत में इन आरोपों का खंडन किया है. उनके अनुसार, वे केवल मोरक्को की यात्रा पर जा रहे थे और उनके इरादे गलत नहीं थे.
दंपति पेशे से संगीत शिक्षक हैं और उनकी सोच को “सिस्टम विरोधी” और “रहस्यमयी विश्वासों” से प्रभावित बताया गया है. उनके वकीलों का कहना है कि न तो उन्होंने कभी बलि का इरादा जताया और न ही बच्चे को कोई नुकसान पहुंचाने की मंशा थी.
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इस मामले में सबसे चिंताजनक पहलू बच्चे की मानसिक स्थिति रही. कोर्ट में बच्चे के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाली वकील ने बताया कि जब पुलिस ने बच्चे को सुरक्षा में लिया, तो उसने ‘सांप को निकालने’ जैसी बातें कहीं, जो यह दर्शाता है कि उसके माता-पिता के अंधविश्वास ने उसकी मानसिक स्थिति को बुरी तरह प्रभावित किया.
फिलहाल बच्चा अपने नाना-नानी के पास है और सुरक्षित बताया गया है. इस केस की सुनवाई एक दिन चली और अदालत अपना फैसला बाद में सुनाएगी. यह मामला न सिर्फ कानून व्यवस्था बल्कि समाज में अंधविश्वास के खतरनाक प्रभावों को भी उजागर करता है.