आर्थिक संकट के बीच पीएम बने रानिल विक्रमसिंघे
पांच बार प्रधानमंत्री रहे रानिल विक्रमसिंघे को श्रीलंका में उत्पन्न बड़े आर्थिक संकट के कारण उभरे राजनीतिक संकट के बाद 12 मई को फिर से नियुक्त किया गया था. उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री महिंदा राजपक्षे का स्थान लिया, जिन्होंने आर्थिक संकट से निपटने के लिए एक सर्वदलीय अंतरिम सरकार नियुक्त करने की अपने भाई की योजना को अंजाम तक पहुंचाने के लिए पद से इस्तीफा दे दिया था.
अंतरिम बजट की तैयारी कर रहे रानिल विक्रमसिंघे
विक्रमसिंघे के कार्यालय ने जानकारी दी कि प्रधानमंत्री बनने के बाद उन्होंने द्वीपीय देश के अन्य देशों के साथ संबंधों को फिर से स्थापित किया, संविधान में 21 संशोधनों के मसौदे के साथ संवैधानिक सुधार के लिए कदम उठाये, ईंधन की आपूर्ति सुनिश्चित की और वह अंतरिम बजट की तैयारी कर रहे हैं.
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आर्थिक मदद के लिए IMF से चल रही बातचीत
विक्रमसिंघे के पास 225 सदस्यीय सदन में अपनी केवल एक सीट है. वह लचर अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने के अपने तत्काल कार्य में समर्थन के लिए अन्य राजनीतिक दलों पर निर्भर हैं. श्रीलंका ने अप्रैल के मध्य में अपने दिवालिया होने की घोषणा करते हुए कहा था कि वह इस साल अंतरराष्ट्रीय ऋण का भुगतान नहीं कर पायेगा. देश ने आर्थिक मदद के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से बात शुरू की है.
गोटबाया का इस्तीफा देने से इंकार
विक्रमसिंघे ने ऐसे समय में पदभार संभाला है, जब सरकार द्वारा अर्थव्यवस्था को ठीक से न संभालने के लिए सड़कों पर विरोध प्रदर्शन हो रहे थे. गोटबाया राजपक्षे के राष्ट्रपति पद से इस्तीफे की मांग को लेकर 9 अप्रैल से विरोध प्रदर्शन जारी है. हालांकि, गोटाबाया ने इस्तीफा देने से इंकार कर दिया है.