मंत्रालय ने कहा है कि यह सहायता एक युद्धग्रस्त देश के लिए दी जा रही है, जिसे हथियारों की भारी आवश्यकता है. इस सहयोग से यूक्रेन अपनी उत्पादन क्षमता बढ़ा पाएगा और रूस के खिलाफ अपनी रक्षा को और मजबूत कर सकेगा. जर्मनी सिर्फ आर्थिक मदद ही नहीं देगा, बल्कि लंबी दूरी की मिसाइलों के जरूरी कंपोनेंट भी यूक्रेन को मुहैया कराएगा. जानकारों के मुताबिक, इस तरह की दोहरी मदद यूक्रेन के लिए काफी अहम मानी जा रही है, क्योंकि देश का आर्थिक ढांचा युद्ध की वजह से बुरी तरह चरमरा गया है और हथियारों की भारी कमी भी बनी हुई है.
गौरतलब है कि हाल ही में चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने कहा था कि यूक्रेन की मिसाइल हमलों की रेंज अब सीमित नहीं है. वह रूस की राजधानी तक पहुंचकर हमले कर रहा है. कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि कीव की ओर से हालिया हमले में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को निशाना बनाने की भी कोशिश की गई थी.
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इस बीच, पश्चिमी देशों की ओर से रूस पर युद्ध समाप्त करने का दबाव लगातार बढ़ रहा है. यूरोप के कई देश और अमेरिका रूस से जंग रोकने की अपील कर चुके हैं. हाल ही में तुर्की में रूस और यूक्रेन के बीच सीधी वार्ता कराने की कोशिश भी हुई थी, जिसमें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की शामिल हुए थे, लेकिन रूस ने सिर्फ निचले स्तर के अधिकारियों को भेजा था. मंत्री स्तर के किसी प्रतिनिधि की गैरमौजूदगी के चलते वार्ता बेनतीजा रही.
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इसी हफ्ते राष्ट्रपति जेलेंस्की ने पश्चिमी देशों से मांग की थी कि वे यूक्रेन को वर्ष के अंत तक 30 अरब डॉलर की मदद दें ताकि घरेलू स्तर पर हथियारों का उत्पादन बढ़ाया जा सके. उन्होंने कहा था कि अमेरिका की मदद अब पर्याप्त नहीं है, ऐसे में यूक्रेन को अपने संसाधनों पर निर्भर रहना होगा. फिलहाल जर्मनी के इस नए फैसले पर रूस की तरफ से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है.
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