हालांकि, इस मामले पर पाकिस्तानी सेना ने सफाई दी है. सेना के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि जिस चौकी का वीडियो वायरल हो रहा है, उसे हमले से पहले ही खाली कर दिया गया था. उन्होंने बताया कि यह कदम केवल बाजौर तक सीमित नहीं था, बल्कि उत्तरी और दक्षिणी वजीरिस्तान की कई चौकियों से भी सैन्यकर्मियों को दूसरी जगह शिफ्ट किया गया था. इस घटना ने पाकिस्तान-अफगानिस्तान के बीच पहले से ही बिगड़े हुए हालात को और तनावपूर्ण बना दिया है.
पाकिस्तानी सेना और अफगानी तालिबान के बीच तनाव हालिया घटनाओं से और गहरा गया है. यह टकराव तब शुरू हुआ जब तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) ने वजीरिस्तान के मकीन इलाके में पाकिस्तान के 30 सैनिकों को मार गिराया. इस हमले के जवाब में, पाकिस्तान ने हवाई हमले किए और यह स्पष्ट संदेश दिया कि वह अपने सैनिकों की हत्या बर्दाश्त नहीं करेगा.
तालिबान के पास आधुनिक हथियारों का बड़ा भंडार है, जिसमें एके-47, मोर्टार और रॉकेट लॉन्चर शामिल हैं. उनके पास पहाड़ों और गुफाओं में छिपकर हमले करने की रणनीतिक क्षमता भी है, जिससे पाकिस्तानी सेना के लिए उन्हें रोक पाना मुश्किल हो जाता है. इस बीच, पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार पहले से ही कई आंतरिक संकटों से जूझ रही है, जैसे आर्थिक समस्याएं, सीपैक प्रोजेक्ट में देरी, और बलूचिस्तान में अलगाववादी आंदोलन. तालिबान के साथ यह टकराव इन चुनौतियों को और बढ़ा रहा है.
तालिबान की ताकत
इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के अनुसार, तालिबान के पास करीब 1.5 लाख सक्रिय लड़ाके हैं. अफगानिस्तान में सत्ता संभालने के बाद तालिबान ने अपनी सेना को औपचारिक रूप देते हुए स्पेशल फोर्स और आठ इन्फैंट्री कोर की स्थापना की है. तालिबान को मुख्य रूप से कबाइली इलाकों के कबीले, कट्टरपंथी धार्मिक संस्थाएं और मदरसे समर्थन देते हैं. इसके अलावा, पाकिस्तानी सेना और आईएसआई की गुप्त मदद भी उनके लिए फायदेमंद साबित हुई है. अमेरिकी खुफिया रिपोर्टों में भी यह कहा गया है कि अमेरिकी सैनिकों की वापसी के बाद अफगान सरकार का प्रभुत्व खत्म हो जाएगा और तालिबान का शासन स्थापित हो सकता है. तालिबान की यह ताकत और रणनीतिक बढ़त पाकिस्तानी सेना के लिए लगातार एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है.