ब्यूटी बिजनेस छोड़ महाकल भक्त बन गया टोक्यो का टाइकून, अब बांट रहा कांवड़ियों को खाना

Tokyo Tycoon Leaves Beauty Business: जापान के टोक्यो के करोड़पति कारोबारी होशी ताकायुकी ने अपना पूरा व्यापार छोड़ हिंदू धर्म अपनाया. अब 'बाला कुंभ गुरुमुनि' बनकर उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा कर रहे हैं. जानिए कैसे एक स्वप्न और नाड़ी ज्योतिष ने उनकी जिदगी बदल दी.

By Govind Jee | July 27, 2025 3:50 PM
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Tokyo Tycoon Leaves Beauty Business: जापान के टोक्यो में ब्यूटी प्रोडक्ट्स की सफल चेन चलाने वाले 41 वर्षीय होशी ताकायुकी ने सब कुछ त्यागकर शिवभक्ति का मार्ग अपना लिया है. अब वह ‘बाला कुंभ गुरुमुनि’ के नाम से पहचाने जाते हैं. उन्होंने अपनी 15 दुकानों वाली व्यापारिक कारोबार को अपने अनुयायियों को सौंप दिया है और खुद गेरुआ वस्त्र पहनकर भारत की आध्यात्मिक भूमि पर आत्मिक शांति की खोज में निकल पड़े हैं.

Tokyo Tycoon Leaves Beauty Business in Hindi: कांवड़ यात्रा में नंगे पांव, 20 जापानी भक्त साथ

ताकायुकी इस समय उत्तराखंड में कांवड़ यात्रा पर हैं, जहां उन्हें हाल ही में देहरादून में देखा गया. वे नंगे पांव चलकर पवित्र गंगा जल ले जा रहे हैं और उनके साथ 20 जापानी भक्त भी हैं. देहरादून में उन्होंने दो दिवसीय भंडारे का आयोजन किया, जिसमें सैकड़ों कांवड़ियों को भोजन कराया. यह आयोजन उन्होंने शिवभक्ति और सेवा की भावना से किया.

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तमिलनाडु में शुरू हुई थी आध्यात्मिक यात्रा

ताकायुकी की आध्यात्मिक यात्रा करीब दो दशक पहले तमिलनाडु से शुरू हुई थी. वहां उन्होंने नाड़ी ज्योतिष से जीवन की भविष्यवाणी करवाई थी. इसमें उन्हें बताया गया कि उनका पूर्वजन्म भारत के हिमालय क्षेत्र में हुआ था और वे शिवभक्त रहे थे. इसके बाद उन्हें एक दिव्य स्वप्न आया, जिसमें उन्होंने खुद को उत्तराखंड के पहाड़ों में देखा. यही अनुभव उनके जीवन का टर्निंग पॉइंट बन गया.

जापान में घर को बनाया शिव मंदिर

ताकायुकी ने टोक्यो में अपने घर को पूर्ण रूप से शिव मंदिर में बदल दिया है. वहां उन्होंने दूसरा मंदिर भी बनवाया है और हिंदू रीति-रिवाज के अनुसार पूजा-अर्चना करते हैं. उनके कई जापानी अनुयायी अब उनके साथ भारतीय संस्कृति और सनातन धर्म से जुड़ने लगे हैं.

पुडुचेरी में बना रहे भव्य शिव मंदिर

भारत लौटने के बाद ताकायुकी ने पुडुचेरी में 35 एकड़ जमीन खरीदी है, जहां वे एक भव्य शिव मंदिर का निर्माण करा रहे हैं. साथ ही उत्तराखंड में आश्रम खोलने की योजना पर भी काम कर रहे हैं. वह कहते हैं, “मैं देवभूमि उत्तराखंड से गहरे रूप से जुड़ा हुआ महसूस करता हूं. मुझे लगता है कि मेरा पूर्वजन्म यहीं बीता था. मैं आज भी उस पुराने गांव की तलाश कर रहा हूं.”

महामंडलेश्वर बनने की तैयारी

ताकायुकी के भक्ति भाव और सनातन धर्म में समर्पण को देखते हुए उन्हें निरंजनी अखाड़ा की ओर से ‘महामंडलेश्वर’ की उपाधि देने पर विचार किया जा रहा है. यह हिंदू संत समाज की एक अत्यंत प्रतिष्ठित उपाधि है, जो विरले लोगों को ही प्राप्त होती है. स्वामी रविंद्र पुरी ने उनकी श्रद्धा और सेवा भावना की सराहना की है.

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