Turkey Building Mosques Madrasas India Nepal Border: खुफिया रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की अब नेपाल में सक्रिय होकर पाकिस्तान के साथ मिलकर भारत के हितों को चुनौती दे रहा है. नेपाल की सीमा से सटे इलाकों में तुर्की और पाकिस्तान समर्थित धार्मिक संस्थानों और नेटवर्क के विस्तार से भारत की सुरक्षा, सामाजिक व्यवस्था और सीमा प्रबंधन पर गंभीर खतरा मंडरा रहा है. जिससे आने वाले समय में भारत को चौतरफा सतर्क रहने की जरुरत है.
तुर्की क्यों दे रहा है दखल
तुर्की की गैर-सरकारी संस्था IHH (Foundation for Human Rights and Freedoms and Humanitarian Relief), जिसे तुर्की सरकार और खुफिया एजेंसियों का समर्थन प्राप्त है, नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्रों में अपनी गतिविधियां बढ़ा रही है. यह संस्था इस्लामी संघ नेपाल (ISN) जैसे स्थानीय समूहों के साथ मिलकर मुसलमान अल्पसंख्यकों के लिए मस्जिद, मदरसा, अनाथालय और इस्लामिक केंद्र स्थापित कर रही है. ISN पर जेहादी कनेक्शन का भी संदेह है.
तुर्की की रणनीति दोहरी है वो एक तरफ मानवीय सहायता के नाम पर विचारधारा का प्रसार करना, और दूसरी तरफ राजनीतिक व रणनीतिक नेटवर्क तैयार करना. तुर्की की विकास एजेंसी TIKA और खुफिया एजेंसी MIT की निगरानी में ये संस्थान कट्टर राजनीतिक इस्लाम फैलाने और कट्टरपंथी एजेंडों को लॉजिस्टिक सपोर्ट देने में लगे हैं. तुर्की का पैरामिलिट्री संगठन SADAT, जो ISN से जुड़ा है, इस क्षेत्र में मिलिशिया प्रशिक्षण और गुप्त ऑपरेशनों के लिए संदिग्ध माना जा रहा है.
भारत के लिए तुर्की का ये नया दखल और पाकिस्तान की खुली शत्रुतापूर्ण नीति मिलकर सीमा इलाकों में जटिल सुरक्षा चुनौतियां खड़ी कर रहे हैं. यह न केवल विचारधारात्मक उग्रवाद को बढ़ावा देगा, बल्कि भारत विरोधी प्रचार और आतंकवादी फंडिंग के रास्ते भी खुलेगा.
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Turkey Building Mosques Madrasas India Nepal Border: पाकिस्तान का क्या है प्रभाव
पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI ने भारत-नेपाल सीमा के पास मस्जिदों और मदरसों के विस्तार में बड़ी भूमिका निभाई है. 2018 से 2021 के बीच सीमा से लगे नेपाल के प्रांतों में मस्जिदों की संख्या 760 से बढ़कर 1000 और मदरसों की संख्या 508 से 645 हो गई. ये धार्मिक संस्थान न केवल पूजा स्थल हैं बल्कि भारत विरोधी नफरत फैलाने और आतंकियों को पनाह देने के केंद्र भी बन चुके हैं.
भारत-नेपाल की खुली और ज्यादातर बिना बाड़ वाली सीमा के कारण आतंकियों, अवैध सामान और फंड के आवागमन की सुविधा बढ़ गई है. नेपाल का इस्तेमाल पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन जैसे इंडियन मुजाहिदीन, लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद को वित्तीय और लॉजिस्टिक सहायता पहुंचाने के लिए बेस के रूप में हो रहा है. सीमावर्ती इलाकों में मौजूद गेस्टहाउस और मदरसे आतंकियों के ऑपरेशनल हब या रास्ता बनने के लिए इस्तेमाल होते हैं.
इसके साथ ही सीमा वाले क्षेत्रों में मुस्लिम आबादी में तेजी से वृद्धि और इस्लामी सांस्कृतिक प्रतीकों के बढ़ने को भारत की खुफिया एजेंसियां एक सुनियोजित रणनीति मानती हैं, जो सामाजिक और राजनीतिक आधार तैयार कर विद्रोही गतिविधियों को बढ़ावा देने में मदद करता है.
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भारत पर क्या असर पड़ेगा?
तुर्की और पाकिस्तान की नेपाल में की जा रही गतिविधियों से भारत-नेपाल सीमा पर तनावपूर्ण और खतरनाक माहौल बन गया है, जिसके परिणाम स्वरूप:
- सीमा पार आतंकवाद का खतरा बढ़ा है क्योंकि विदेशी फंड वाले मस्जिद और मदरसे आतंकियों के भर्ती, प्रेरणा और योजना के केंद्र बन रहे हैं.
- सामाजिक और जनसांख्यिकीय बदलाव से सीमावर्ती समुदायों की पहचान और वफादारी बाहरी ताकतों के प्रभाव में आ रही है, जिससे सामाजिक सौहार्द्र प्रभावित हो सकता है.
- अवैध और असंख्य धार्मिक संस्थानों की निगरानी और नियंत्रण बहुत चुनौतीपूर्ण हो गया है.
- भारत को अब न केवल पाकिस्तान के आतंकवादी नेटवर्क से, बल्कि तुर्की के विचारधारात्मक विस्तार से भी निपटना है, जिसके लिए खुफिया सहयोग, कड़ी निगरानी और नेपाल के साथ मजबूत कूटनीतिक रिश्तों की जरूरत है.
जवाब में भारत सरकार ने सीमा के 10-15 किलोमीटर के दायरे में अवैध मदरसों और मस्जिदों पर कार्रवाई तेज कर दी है, गैरकानूनी भवनों को तोड़ा जा रहा है और गैरपंजीकृत संस्थान बंद किए जा रहे हैं. इसके बावजूद, विदेशी फंडिंग, खुली सीमाएं और स्थानीय समस्याएं अभी भी जटिल बनी हुई हैं, जिन्हें समाधान के लिए सतत निगरानी और द्विपक्षीय सहयोग जरूरी है.
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