टैरिफ बम के बाद अमेरिका का अगला वार, 6 भारतीय कंपनियों पर लगाया आर्थिक प्रतिबंध

US Sanctions: अमेरिका ने ईरान से तेल व्यापार के आरोप में छह भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया है. करोड़ों डॉलर के लेन-देन का आरोप, अमेरिकी संपत्तियां जब्त. भारत ने फैसले की समीक्षा की बात कही। ट्रंप ने भी लगाए थे अतिरिक्त टैरिफ.

By Govind Jee | July 31, 2025 12:43 PM
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US Sanctions: ईरान से पेट्रोलियम और पेट्रोकेमिकल उत्पादों के व्यापार को लेकर अमेरिका ने भारत की कम से कम छह कंपनियों पर आर्थिक प्रतिबंध लगा दिए हैं. अमेरिकी विदेश विभाग ने बुधवार (30 जुलाई) को इन कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई की घोषणा की है. 

जिन भारतीय कंपनियों पर प्रतिबंध लगाया गया है, उनमें कंचन पॉलिमर्स, अल्केमिकल सॉल्यूशन्स प्रा. लि., रामनिकलाल एस. गोसालिया एंड कंपनी, ज्यूपिटर डाई केम प्रा. लि., ग्लोबल इंडस्ट्रियल केमिकल्स लिमिटेड और परसिस्टेंट पेट्रोकेम प्रा. लि. शामिल हैं.

अमेरिका ने आरोप लगाया है कि इन कंपनियों ने जानबूझकर ईरानी पेट्रोलियम उत्पादों की खरीद और मार्केटिंग में भाग लिया, जिससे अमेरिकी प्रतिबंधों का उल्लंघन हुआ. इसके तहत इन कंपनियों की अमेरिका में मौजूद अथवा अमेरिकी नागरिकों के नियंत्रण वाली सभी संपत्तियां जब्त कर ली गई हैं और अमेरिकी नागरिक या कंपनियां इनसे किसी भी तरह का व्यापार नहीं कर सकतीं. इसके अलावा, इन कंपनियों के स्वामित्व वाली 50% या अधिक हिस्सेदारी वाली अन्य इकाइयों पर भी रोक लगा दी गई है.

US Sanctions in Hindi: किन कंपनियों पर क्या आरोप?

Alchemical Solutions Pvt. Ltd. पर जनवरी से दिसंबर 2024 के बीच 84 मिलियन डॉलर मूल्य के ईरानी पेट्रोकेमिकल्स आयात का सबसे बड़ा आरोप है. Global Industrial Chemicals Ltd. ने जुलाई 2024 से जनवरी 2025 के बीच 51 मिलियन डॉलर की ईरानी मीथेनॉल खरीदी बताई गई है. Jupiter Dye Chem Pvt. Ltd. पर टोल्यून समेत 49 मिलियन डॉलर के उत्पाद खरीदने का आरोप है. Ramniklal S Gosalia & Co. ने 22 मिलियन डॉलर के ईरानी उत्पाद खरीदे, जिनमें मीथेनॉल और टोल्यून शामिल हैं. Persistent Petrochem Pvt. Ltd. ने अक्टूबर से दिसंबर 2024 के बीच लगभग 14 मिलियन डॉलर के उत्पाद आयात किए. Kanchan Polymers ने तनासिस ट्रेडिंग से 1.3 मिलियन डॉलर मूल्य के ईरानी पॉलीथीन उत्पाद खरीदे.

अमेरिकी विदेश विभाग का कहना है कि प्रतिबंध लगाने का उद्देश्य सजा देना नहीं, बल्कि व्यवहार में बदलाव लाना है. यदि कोई कंपनी इस सूची से हटना चाहती है, तो वह अमेरिकी ट्रेजरी विभाग के विदेशी संपत्ति नियंत्रण कार्यालय (OFAC) में याचिका दायर कर सकती है.

पढ़ें: पाकिस्तान से तेल खरीदेगा भारत! डोनाल्ड ट्रंप ने अखिर क्यों कहा ऐसा

ईरान, रूस और भारत को लेकर अमेरिका का रुख (US Sanctions Indian Firms Iran Oil Trade in Hindi)

यह कार्रवाई अमेरिका के “मैक्सिमम प्रेशर” अभियान का हिस्सा है, जिसके तहत ईरान के छाया बेड़े और मध्यस्थ कंपनियों को निशाना बनाया जा रहा है, जो वैश्विक स्तर पर ईरानी तेल और पेट्रोकेमिकल उत्पाद पहुंचाती हैं. अमेरिकी प्रशासन का कहना है कि इनसे होने वाली कमाई ईरान की पश्चिम एशिया में अस्थिर गतिविधियों और आतंकी समूहों को समर्थन देने में जाती है.

इस बीच,  राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर 25% टैरिफ और एक अतिरिक्त दंड लगाने की घोषणा की है. ट्रंप ने भारत को “दोस्त” बताते हुए भी उसके ऊंचे टैरिफ और रूस से तेल और हथियारों की खरीद की आलोचना की. भारत सरकार ने कहा है कि वह अमेरिकी फैसले की समीक्षा कर रही है और अपने घरेलू हितों की रक्षा करते हुए संतुलित व्यापार समझौते के लिए प्रतिबद्ध है.

यह भी पढ़ें : …तो इसलिए डोनाल्ड ट्रंप ने भारत पर ठोक दिया 25 फीसदी टैरिफ

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