इराक में भड़की हिंसा में 20 की मौत, सेना ने लगाया कर्फ्यू, अल-सदर के संन्यास की घोषणा से बिगड़े हालात

इराक की राजधानी बगदाद की हालत बेहद खराब है. मुक्तदा अल-सद्र के संन्यास की घोषणा के बाद कई जगहों पर झड़प हो रही हैं. देश में गृहयुद्ध जैसे हालात है. राष्ट्रपति भवन में लोग जबरन घुस गये. कई लोगों ने तो राष्ट्रपति भवन के अंदर बने स्विमिंग पुल पर भी नहाये.

By Prabhat Khabar Digital Desk | August 30, 2022 9:28 AM
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इराक में हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं. देश में छाया राजनीतिक संकट और गहरा गया है. शिया धर्मगुरु मुक्तदा अल-सदर के राजनीति से संन्यास की घोषणा के बाद देश में हिंसा भड़क उठी है. हिंसा के दौरान अल-सद्र और सुरक्षा बलों के बीच हिंसक कई झड़प हुई जिसमें 15 लोगों के मारे जाने की खबर आ रही है. और दर्जनों प्रदर्शनकारी घायल हुए हैं. इराक के कार्यवाहक प्रधानमंत्री मुस्तफा अल-कदीमी ने कैबिनेट का सत्र निलंबित कर दिया.

इराक में कर्फ्यू की घोषणा: इराक की सेना ने बढ़ते तनाव को देखते हुए सोमवार को पूरे शहर में कर्फ्यू लागू कर दी है. गौरतलब है कि इराक इस समय जबरदस्त राजनीतिक संकट के दौर से गुजर रहा है. ऐसे में सेना ने आशंका जाहिर की है कि मौजूदा हालात में इराक में हिंसा भड़क सकती है.

राष्ट्रपति भवन में घुसे लोग: वहीं, इराक की राजधानी बगदाद की हालत बेहद खराब है. मुक्तदा अल-सद्र के संन्यास की घोषणा के बाद कई जगहों पर झड़प हो रही हैं. देश में गृहयुद्ध जैसे हालात है. राष्ट्रपति भवन में लोग जबरन घुस गये. कई लोगों ने तो राष्ट्रपति भवन के अंदर बने स्विमिंग पुल पर भी नहाये. बगदादा का ग्रीन जोन रणभूमि में तब्दील हो गया है.

सन्यास की घोषणा से बिगड़े हालात: गौरतलब है कि इराक के एक प्रभावशाली शिया धर्मगुरू मुक्तदा अल-सद्र ने सोमवार को राजनीति से संन्यास लेने की घोषणा कर दी और पार्टी कार्यालयों को भी बंद करने की घोषणा कर दी. जिसके बाद उनके समर्थन में लोगों का हुजूम सड़कों पर उतर गया, जो देखते ही देखते हिंसक हो गया. हंगामा करने पर उतारू समर्थक सरकारी महल तक पहुंच गये.हालात इतने बिगड़ गये हैं कि सेना को कर्फ्यू की घोषणा करनी पड़ी.

यह पहली बार नहीं है जब अल-सद्र ने अपने संन्यास की घोषणा की है. अल सद्र इससे पहले भी सन्यास की घोषणा कर चुके हैं. कई लोगों ने अल-सदर के इस कदम को वर्तमान गतिरोध के बीच प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ बढ़त हासिल करने का एक और प्रयास करार दिया है. वहीं कई लोगों ने आशंका जतायी है कि इस बार के उनके कदम से देश की स्थिति और बिगड़ सकती है.

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