Nimisha Priya Execution: कौन हैं ग्रैंड मुफ्ती जिसने रुकवाई निमिषा प्रिया की फांसी?

Nimisha Priya Execution: केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी टली, लेकिन क्या वह बच पाएंगी? यमन में हत्या के दोष में सजा पाए मामले में अब सब कुछ मृतक के परिवार की माफी या ब्लड मनी पर टिका है. क्या समय रहते फैसला होगा?

By Govind Jee | July 15, 2025 2:19 PM
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Nimisha Priya Execution: यमन में मौत की सजा का सामना कर रहीं केरल की नर्स निमिषा प्रिया की फांसी पर फिलहाल रोक लगा दी गई है. मंगलवार को सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की. हालांकि, जिस यमनी नागरिक की हत्या के मामले में उन्हें सजा मिली है, उसके परिवार ने अब तक माफी देने या ब्लड मनी (रक्तपुश्त) स्वीकार करने पर सहमति नहीं दी है. यह जानकारी सेव निमिषा प्रिया इंटरनेशनल एक्शन काउंसिल के सदस्य सैमुअल जेरोम बास्करन ने दी, जो 1999 से यमन में रह रहे हैं.

2017 में हुई थी हत्या, 16 जुलाई को होनी थी फांसी

निमिषा प्रिया को 2017 में अपने यमनी बिजनेस पार्टनर तालाल अब्दो महदी की हत्या के मामले में दोषी ठहराया गया था. उनकी फांसी की तारीख 16 जुलाई तय की गई थी. अंतिम समय में उन्हें बचाने के लिए कूटनीतिक प्रयास और धार्मिक नेताओं की मध्यस्थता जारी है.

भारत का यमन में नहीं है दूतावास

निमिषा यमन की राजधानी सना की जेल में मौत की सजा का इंतजार कर रही हैं. भारत का वहां कोई आधिकारिक दूतावास नहीं है और न ही भारत वर्तमान यमनी सरकार को मान्यता देता है. ऐसे में भारत सरकार की आधिकारिक कोशिशें सीमित हैं. यही कारण है कि सरकार अनौपचारिक और धार्मिक चैनलों से मामले को सुलझाने की कोशिश कर रही है.

ग्रैंड मुफ्ती का भी हस्तक्षेप

भारत के ग्रैंड मुफ्ती कंथापुरम एपी अबूबक्कर मुसलियार ने इस मामले में हस्तक्षेप किया है. उनके प्रतिनिधि अब मृतक तालाल के परिवार, खासकर उनके भाई से सीधे संपर्क में हैं. यह पहली बार है जब मृतक का कोई करीबी सदस्य बातचीत की मेज पर आया है.

शरिया कानून के तहत माफी या ब्लड मनी संभव

यमन में शरिया कानून लागू है, जिसमें पीड़ित परिवार को यह अधिकार होता है कि वह दोषी को माफ कर दे  चाहे बिना किसी शर्त के या फिर ब्लड मनी यानी आर्थिक मुआवजे के बदले. फिलहाल इस पर बातचीत जारी है लेकिन अंतिम निर्णय पीड़ित परिवार पर ही निर्भर करता है.

Nimisha Priya Execution: भारत की कोशिशें जारी

भारत सरकार ने औपचारिक रूप से फांसी पर रोक की मांग की है और बातचीत के जरिए हल निकालने का प्रयास जारी रखा है. उम्मीद की जा रही है कि धार्मिक नेताओं और मानवाधिकार संगठनों की पहल से जल्द कोई सकारात्मक नतीजा निकलेगा. 

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