बीजेपी के रहा है वर्चस्व
1951 में स्थापित हाजीपुर विधानसभा सीट पर बीते दो दशकों से भाजपा का वर्चस्व रहा है. नित्यानंद राय ने 2000 से 2010 तक चार बार इस सीट पर जीत दर्ज की. उनके लोकसभा में जाने के बाद अवधेश सिंह ने 2014 उपचुनाव से कमान संभाली और 2015 व 2020 में भी विधायक बने.
हालांकि 2020 में भाजपा की जीत का अंतर मात्र 3000 वोटों का रह गया, जो राजद की बढ़ती पकड़ का संकेत है. इस सीट पर SC (21%) और मुस्लिम (8%) मतदाता चुनावी नतीजों को निर्णायक रूप से प्रभावित करते हैं.
ग्रामीण क्षेत्र में रहने वाले लोग ज्यादा
हाजीपुर विधानसभा मुख्यतः ग्रामीण क्षेत्र है, जहां 67% से अधिक मतदाता गांवों में रहते हैं. शहरी मतदाता अपेक्षाकृत कम हैं. 2025 के चुनाव में यहां भाजपा और राजद के बीच कड़ा मुकाबला तय माना जा रहा है. NDA की सबसे बड़ी चुनौती एससी वोटबैंक को साधना है, वहीं चिराग पासवान की भूमिका भाजपा के लिए सहायक साबित हो सकती है.
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कितने वोटर हैं
1 जनवरी 2024 तक हाजीपुर में 352082 पंजीकृत मतदाता थे. नई मतदाता सूची के साथ यह संख्या और बढ़ सकती है. कभी भाजपा की अजेय मानी जाने वाली हाजीपुर सीट अब सियासी असमंजस की स्थिति में है. 2025 में परिणाम काफी कुछ स्थानीय समीकरणों, जातीय ध्रुवीकरण और गठबंधन की रणनीति पर निर्भर करेगा.