Babu Veer Kunwar Singh पर आधारित बायोग्राफी गीत का ‘अईसन ना जवानी देखनी’ का लोकार्पण

Babu Veer Kunwar Singh: 1857 की क्रांति के महानायक बाबू वीर कुंवर सिंह की वीरगाथा को सुरों में पिरोकर मनीषा श्रीवास्तव ने एक अनोखी सांस्कृतिक प्रस्तुति दी है. ‘अईसन ना जवानी देखनी’ नामक इस बायोग्राफी गीत का लोकार्पण बिहार संग्रहालय में हुआ.

By हिमांशु देव | April 23, 2025 2:03 PM
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Babu Veer Kunwar Singh: पटना के बिहार संग्रहालय में आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में बाबू वीर कुंवर सिंह पर आधारित बायोग्राफी गीत का ‘अईसन ना जवानी देखनी’ का लोकार्पण हुआ. गीत को सुप्रसिद्ध लोकगायिका मनीषा श्रीवास्तव ने गाया है. इस अवसर पर पर्यटन मंत्री राजू कुमार सिंह ने बाबू वीर कुंवर सिंह जात के नहीं, बल्कि जमात के नेता बताते हुए इस तरह के सांस्कृतिक प्रयासों को बढ़ावा देने की आवश्यकता पर बल दिया. उन्होंने कहा कि बिहार के महापुरुषों और ऐतिहासिक विरासत पर गीत व सिनेमा बनने चाहिए. लोक गायिका मनीषा श्रीवास्तव द्वारा कुंवर सिंह पर बनाए गीत सराहनीय है.

जीवन और संघर्ष को सुरों के माध्यम से किया जीवंत

गीत को अपनी आवाज देने वाली मनीषा श्रीवास्तव ने वीर कुंवर सिंह के जीवन और संघर्ष को सुरों के माध्यम से जीवंत किया है. गीत के लेखक संजय चतुर्वेदी, संगीतकार प्रभाकर पांडेय और वीडियो निर्देशक अभिषेक भोजपुरिया हैं. वहीं, मनीषा श्रीवास्तव ने देश के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद की जीवनी पर भी गीत में अपनी आवाज दी हैं. साल 2024 में जयंती के पूर्व संध्या बिहार विधान परिषद सभागार में लोकार्पण हुआ.

साहित्य, सिनेमा व संस्कृति प्रेमियों की रही उपस्थिति

कार्यक्रम की अध्यक्षता संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह ने की. इस मौके पर पीठाधीश्वर संजयनाथ जी महाराज, विधायक रश्मी वर्मा, एमएलसी अनिल शर्मा, लेखिका निवेदिता सिंह, अभिनेत्री अक्षरा सिंह सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे. कार्यक्रम का संचालन सुमित श्रीवास्तव और धन्यवाद ज्ञापन अशोक कुमार सिन्हा ने किया.

कौन हैं लोकगायिका मनीषा श्रीवास्तव?

मनीषा श्रीवास्तव मूल रुप से सासाराम की रहने वाली हैं. मनीषा श्रीवास्तव को बचपन से ही लोकगीत से प्रेम था. उनको इसकी पहली शिक्षा अपने दादा जी से मिली. मनीषा अपने बचपन की कहानी शेयर करते हुए कहती है कि दादा जी गीत लिखते थे और मैं गांव में होने वाले नाटक उसे गाया करती थी. फिर जब छठी क्लास में थी तो दादा जी ने संगीत सीखने के लिए मेरा नामांकन प्रयागराज स्थित प्रयाग संगीत समिति में करवा दिया.

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