108 नरमुंडों की दी गई थी बलि
इस मंदिर के इतिहास की चर्चा करें तो यह मंदिर अपनी तांत्रिक विद्या के लिए विश्व प्रसिद्ध रहा है. मान्यता है कि इस मंदिर की स्थापना के दौरान तांत्रिक पद्धति से 108 नरमुंडों की बलि दी गई थी. यहां 56 कोठियों में देवी-देवताओं की स्थापना है और यह दुनिया का पहला ऐसा मंदिर है, जहां 365 देवी-देवता एक साथ विराजमान हैं. इसके अलावा यहां कलयुग के देवता की भी मूर्ति स्थापित है, जो इस मंदिर को और भी खास बनाती है. मंदिर के कैंपस में ही एक प्राचीन पोखर स्थित है, जिसके अंदर सात कुएं होने की मान्यता है. मंदिर में दक्षिणमुखी मां काली, भगवान शिव, सूर्य देव, श्री गणेश, और भगवान विष्णु के दशावतार की प्रतिमाएं स्थापित हैं. यह स्थान साधकों के लिए तांत्रिक सिद्धियों की साधना का प्रमुख केंद्र माना जाता है. देश-विदेश से साधक यहां तपस्या के लिए आया करते थे.
बनाई जाएगी मंदिर की वेबसाइट
जानकारी के अनुसार, बेतिया नगर निगम अब इस मंदिर को पर्यटन और धार्मिक दृष्टिकोण से एक बड़ा केंद्र बनाने की योजना पर काम कर रहा है. इस मंदिर में आने वाले श्रद्धालुओं की सुविधा को देखते हुए चौड़ी सड़कों का निर्माण, संगमरमर से मंदिर की दीवारें, छतों का निर्माण और आधुनिक सुविधाएं विकसित की जाएगी. साथ ही प्रचार-प्रसार भी तेज किया जाएगा, जिससे दूर-दराज के श्रद्धालु इस मंदिर के बारे में जान सकें. साथ ही, वाल्मीकि टाइगर रिजर्व और नंदनगढ़ आने वाले पर्यटकों को भी इस मंदिर की तरफ आकर्षित किया जाएगा, इसके लिए विशेष वेबसाइट तैयार की जाएगी, जिसमें मंदिर के इतिहास, धार्मिक महत्व और दर्शन से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध होंगी.
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