बेतिया. रक्सौल के थानाध्यक्ष राजीव नंदन सिन्हा के निलंबन के बाद अब एसडीपीओ धीरेंद्र कुमार की मुश्किलें बढ़ गयी हैं. कपड़ा व्यवसायी टुन्नु प्रसाद को अपहरण के एक मामले में दोषमुक्त कराने के नाम पर एक बिचौलिए के द्वारा अवैध उगाही के मामले में चंपारण रेंज के डीआईजी हरकिशोर राय ने अपनी जांच में एसडीपीओ की भूमिका को संदिग्ध माना है. हालांकि एसडीपीओ द्वारा ऐसे लेने देन का कोई साक्ष्य अभी तक सामने नहीं आया है. जांच में यह बात सामने आयी है कि पैसे का लेन देन करनेवाले एक दो लोग एसडीपीओ व उनके कार्यालय के संपर्क में थे. उनका लगातार आना जाना एसडीपीओ के कार्यालय में था. डीआईजी के जांच में यह बात भी सामने आयी है कि एसडीपीओ गंभीर अपराधों के मामले में भी घटनास्थल पर गये बगैर अपने कार्यालय कक्ष में हीं केस का पर्यवेक्षण कर पर्यवेक्षण रिपोर्ट निर्गत करते थे. मामले को गंभीरता से लेते हुए डीआईजी ने रक्सौल एसडीपीओ धीरेंद्र कुमार के विरुद्ध विभागीय कार्रवाई शुरु करने के लिए पुलिस मुख्यालय को अपनी रिपोर्ट भेजी है. उन्होंने इस पूरे प्रकरण में एसडीपीओ कार्यालय में कार्यरत सिपाही नीरज कुमार की भूमिका को भी संदिग्ध पाया है. उन्होंने मोतिहारी के पुलिस अधीक्षक स्वर्ण प्रभात को आदेश दिया है कि वे उसे निलंबित कर उसके विरुद्ध विभागीय कार्रवाई संचालित करें. विदित हो कि रक्सौल के कपड़ा व्यवसायी व आदापुर थाना क्षेत्र के भेड़िहारी निवासी टुन्नु प्रसाद ने चंपारण रेंज के डीआईजी को आवेदन देकर रक्सौल थानाध्यक्ष एवं एसडीपीओ पर कई गंभीर आरोप लगाया था. जिसकी जांच स्वयं डीआईजी ने रक्सौल जाकर की थी. जांचोपरांत रक्सौल थानाध्यक्ष राजीवनंदन सिन्हा को निलंबित एवं बिचौलिया शिवपूजन शर्मा की गिरफ्तारी व चौकीदार को निलंबित करने का निर्देश तत्काल डीआईजी ने दी थी. वहीं एसडीपीओ कार्यालय की समीक्षा भी उन्होंने की. समीक्षा के बाद उन्होंने एसडीपीओ पर यह कार्रवाई की है. वहीं एसडीपीओ के द्वारा मोतिहारी में एक भूखंड खरीदने का मामला भी सामने आया है. डीआईजी स्वयं उसकी सत्यता की जांच में जुटे है.
संबंधित खबर
और खबरें