मझौलिया. कृषि विज्ञान केंद्र माधोपुर के वरीय वैज्ञानिक एवं प्रधान डॉ अभिषेक प्रताप सिंह ने बताया कि पपीता एक परंपरागत वाली फसल है. इसका व्यवसायिक खेती बीज के द्वारा पौध तैयार करके की जाती है. इसमें बहुत उन्नत किस्म जैसे पूसा ड्वार्फ, पूसा मजेस्टी, पुणे सेलेक्शन तीन एवं प्राइवेट कंपनियों के बीज जैसे रेड लेडी, ताइवान पिंक आदि बाजार में उपलब्ध है. जिसे किसान लेकर इसकी खेती कर सकते हैं. उन्होंने बताया कि बसंत ऋतु से लेकर ग्रीष्म ऋतु तक फल परिपक्व होते रहते हैं. पौधा संरक्षण वैज्ञानिक डॉ सौरभ दुबे ने बताया कि इसमें मुख्य रूप से डंपिंग ऑफ बीमारी लगता है. जिससे बचाव के लिए बीज बोने से पहले रिडोमिल एम जेड नमक कटक मार दवा से उपचारित कर लेना चाहिए. श्री सिंह ने बताया कि अगर वैज्ञानिक तकनीक को अपनाते हुए पपीते की खेती किया जाए तो प्रति पौधों से 50 से 60 किलोग्राम फलों की प्राप्ति होगी एवं 100 से 120 टन प्रति हेक्टेयर उत्पादन मिलेगा.
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