वाल्मीकिनगर. वाल्मीकि टाइगर रिजर्व वन प्रमंडल 2 के वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र से सेट रिहायशी इलाकों में पड़ रहे गर्मी से व्याकुल हो वन्यजीव सहित सरीसृप प्रजाति के जीवों के निकलने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा. इसी क्रम में शुक्रवार की शाम एक फॉरेस्टेंस कैट स्नेक (जिसे मजरा सांप भी कहा जाता है) कोतराहा गांव निवासी सुनील थापा के घर में वन क्षेत्र से भटक कर आ गया. बताते चलें कि उक्त सांप विषैला नहीं होता है. इसके आंख बड़े-बड़े होते हैं बिल्ली की तरह. अमूमन यह सांप शाम या फिर रात में निकलता है. इसका आहार छोटे-छोटे जीव जंतु होते हैं. सांप को देख कर घर वालों में दहशत फैल गया. तत्काल इसकी सूचना वन कार्यालय को दी गयी. सूचना पर पहुंचे डब्ल्यूटीआई के स्नैक कैचर सुनील कुमार ने कड़ी मशक्कत के बाद सांप का सफल रेस्क्यू कर जटाशंकर वन क्षेत्र में छोड़ दिया. इस बाबत रेंजर श्रीनिवासन नवीन ने बताया कि सांप का सफल रेस्क्यू कर वन क्षेत्र में छोड़ दिया गया है. साथ ही लोगों से अपील की गयी है कि सजग और सतर्क रहें. किसी भी वन्यजीव को देखते ही उसकी सूचना वन कार्यालय को दें. उसके साथ छेड़छाड़ न करें. वन कर्मियों ने निजी तालाब से मगरमच्छ के शावक का किया रेस्क्यू वाल्मीकिनगर. स्थानीय थाना क्षेत्र स्थित चंपापुर-गोनौली पंचायत के पूर्व मुखिया ओमप्रकाश के गोनौली स्थित एक निजी तालाब में शनिवार की दोपहर दोन नहर से भटककर एक तीन फीट लंबा मगरमच्छ का शावक जा पहुंचा. जब ग्रामीणों की नजर मगरमच्छ के शावक पर पड़ी तो ग्रामीणों ने इसकी सूचना गोनौली वन क्षेत्र कार्यालय को दी. सूचना पर को गंभीरता से लेते हुए गोनौली वन क्षेत्र में कार्यरत फील्ड बायोलॉजिस्ट सौरभ वर्मा ने अपने वन कर्मियों की टीम के साथ घटनास्थल पर पहुंचकर घंटों के मशक्कत के बाद मगरमच्छ के शावक को तालाब के पानी से सुरक्षित रेस्क्यू कर वाल्मीकिनगर वन क्षेत्र के चुलभट्टा गाय घाट से सटे गंडक नदी में सुरक्षित छोड़ दिया. इसकी पुष्टि गोनौली वन क्षेत्र के फील्ड बायोलॉजिस्ट सौरभ वर्मा ने की है.
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